सऊदी अरब और UAE के बीच बढ़ता तनाव: यमन में सैन्य गतिविधियों पर विवाद
सऊदी अरब और UAE के रिश्तों में तनाव
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, जो खाड़ी क्षेत्र में करीबी सहयोगी माने जाते हैं, के बीच हाल ही में तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है। ये दोनों देश, जो पहले से रणनीतिक साझेदार रहे हैं, अब क्षेत्रीय वर्चस्व और भू-राजनीतिक हितों के टकराव में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं।
जहां सऊदी अरब का नेतृत्व क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान कर रहे हैं, वहीं UAE का नेतृत्व राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद के हाथों में है। यमन का गृहयुद्ध इस समय इन दोनों देशों के बीच बढ़ते मतभेदों का मुख्य कारण बन गया है.
अबूधाबी को सेनाएं हटाने का अल्टीमेटम
हाल के घटनाक्रम में स्थिति तब और गंभीर हो गई जब सऊदी अरब ने यमन में UAE से जुड़े सैन्य जहाजों पर हमला किया। इसके बाद रियाद ने अबूधाबी को 48 घंटे के भीतर यमन से अपनी सेनाएं वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया। सऊदी अरब के दबाव में UAE ने बिना किसी शर्त के अपनी फौज को वापस बुलाने का निर्णय लिया। यह कदम सऊदी अरब की क्षेत्रीय ताकत और नेतृत्व को दर्शाता है, विशेषकर गल्फ सहयोग परिषद (GCC) के संदर्भ में।
सऊदी अरब ने इस सैन्य कार्रवाई का कारण बताते हुए कहा कि यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर UAE के जहाज कथित तौर पर साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) को हथियार और सैन्य सामग्री पहुंचा रहे थे। सऊदी गठबंधन के प्रवक्ता मेजर जनरल तुर्की अल-मलिकी ने कहा कि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इन जहाजों में बड़ी संख्या में वाहन, हथियार और गोला-बारूद मौजूद थे, जो सऊदी नेतृत्व को बिना सूचित किए किया गया।
सऊदी अरब के आरोप
सऊदी अरब ने आरोप लगाया है कि UAE ने STC को हद्रामौत और महरा जैसे संवेदनशील प्रांतों में सैन्य गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसे रियाद ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। सऊदी नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि उसकी सुरक्षा से जुड़ी किसी भी 'रेड लाइन' को पार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
तेजी से बदलते हालात के बीच, UAE के रक्षा मंत्रालय ने यमन में अपनी भूमिका की समीक्षा के बाद वहां से हटने का निर्णय लिया है। सऊदी कैबिनेट की बैठक के बाद यह भी कहा गया कि UAE भविष्य में यमन के किसी भी गुट को सैन्य या आर्थिक सहायता नहीं देगा।
विश्लेषकों की राय
विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम सऊदी अरब की उस रणनीति को दर्शाता है, जिसके तहत वह खुद को गल्फ क्षेत्र की प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है। हालांकि, इससे GCC देशों की एकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। UAE की वापसी से यमन में सऊदी स्थिति मजबूत हो सकती है, लेकिन दीर्घकाल में यह तनाव क्षेत्रीय राजनीति को और जटिल बना सकता है।