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सऊदी अरब का यमन पर हवाई हमला: क्या है इसके पीछे की कहानी?

सऊदी अरब ने हाल ही में यमन के मुकाला बंदरगाह पर एक हवाई हमला किया, जिसका लक्ष्य यूएई से आए हथियारों की खेप थी। यह कार्रवाई दक्षिणी अलगाववादी समूह STC के खिलाफ की गई। सऊदी अरब का कहना है कि ये हथियार सुरक्षा के लिए खतरा थे। यमन में चल रहे गृहयुद्ध और सऊदी-यूएई के बीच बढ़ते मतभेदों के बीच यह हमला महत्वपूर्ण है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और क्षेत्र में शांति की संभावनाएं।
 

खाड़ी क्षेत्र में बढ़ता तनाव


खाड़ी क्षेत्र में तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। हाल ही में, सऊदी अरब ने यमन के मुकाला बंदरगाह पर एक हवाई हमला किया, जिसका लक्ष्य यूएई से आए हथियारों की खेप थी। यह कार्रवाई दक्षिणी अलगाववादी समूह सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) के खिलाफ की गई, जिसे यूएई का समर्थन प्राप्त है। सऊदी अरब का कहना है कि ये हथियार सुरक्षा के लिए खतरा बन गए थे।


हमले का कारण

सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने मंगलवार की सुबह इस सीमित सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। दो जहाज यूएई के फुजैरा बंदरगाह से मुकाला पहुंचे थे, जिनमें भारी मात्रा में हथियार और लड़ाकू वाहन लाए गए थे। सऊदी प्रेस एजेंसी के अनुसार, इन हथियारों से क्षेत्र की स्थिरता को खतरा था, इसलिए इन्हें नष्ट किया गया। इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, और नागरिकों के नुकसान से बचने के लिए रात में कार्रवाई की गई। हालांकि, यूएई ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।


यमन में बढ़ता संघर्ष

यमन में 2014 से गृहयुद्ध जारी है, जिसमें ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी नेतृत्व वाला गठबंधन लड़ाई कर रहा है। STC दक्षिण यमन की स्वतंत्रता की मांग कर रहा है और हाल ही में हदरामौत और अल-महरा प्रांतों पर कब्जा कर लिया है, जो तेल से समृद्ध क्षेत्र हैं और सऊदी अरब की सीमा से लगे हुए हैं। सऊदी अरब ने पहले भी STC को चेतावनी दी थी और कुछ हवाई हमले किए थे। यह नया हमला STC की गतिविधियों को रोकने का प्रयास प्रतीत होता है।


सऊदी अरब और यूएई के संबंधों पर प्रभाव

हालांकि सऊदी अरब और यूएई करीबी सहयोगी हैं, लेकिन यमन के मुद्दे पर उनके बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार का समर्थन करता है, जबकि यूएई STC की मदद कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। फिर भी, बड़े संघर्ष की संभावना कम है, क्योंकि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है।


बातचीत के प्रयास भी जारी हैं। यह घटना यमन की जटिल स्थिति को और अधिक उलझा रही है। उम्मीद है कि कूटनीतिक प्रयासों से स्थिति को सुलझाया जा सकेगा और क्षेत्र में शांति बनी रहेगी।