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सूडान में मानवता का संकट: क्या दुनिया देख रही है एक और नरसंहार?

सूडान में चल रहे मानवीय संकट ने 3 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया है, जबकि वैश्विक समुदाय की प्रतिक्रिया न के बराबर है। उत्तरी दारफुर के एल-फशर में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के नियंत्रण में हत्याओं का सिलसिला जारी है। येल विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, उपग्रह चित्रों में खून और शवों के संकेत मिले हैं। इस संकट ने 1.5 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है और 1.2 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। क्या दुनिया इस नरसंहार को रोकने के लिए कुछ करेगी?
 

सूडान में बढ़ता मानवीय संकट


सूडान वर्तमान में एक गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है, जबकि वैश्विक समुदाय की प्रतिक्रिया लगभग न के बराबर है। उत्तरी दारफुर के एल-फशर शहर में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज नामक मिलिशिया समूह के नियंत्रण में आने के बाद से हत्याओं का एक भयानक सिलसिला शुरू हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप उपग्रह चित्रों में खून और शवों के स्पष्ट संकेत देखे जा रहे हैं।


नरसंहार का प्रभाव

यह स्थिति एक ऐसे नरसंहार की ओर इशारा करती है जिसने लगभग 3 करोड़ लोगों को प्रभावित किया है। येल विश्वविद्यालय के ह्यूमैनिटेरियन रिसर्च लैब की रिपोर्ट के अनुसार, उपग्रह चित्रों में शहर की सड़कों पर मानव आकृतियों और खून के धब्बों के संकेत मिले हैं।


ये चित्र 27 अक्टूबर को एयरबस डिफेंस एंड स्पेस द्वारा खींचे गए थे, जिनमें आरएसएफ के वाहनों और टैंकों को सैन्य ठिकानों के आसपास तैनात देखा गया। एल-फशर सूडानी सशस्त्र बलों का अंतिम प्रमुख ठिकाना था, जिस पर अब आरएसएफ का नियंत्रण है।


गृहयुद्ध की शुरुआत

यह संघर्ष अप्रैल 2023 में शुरू हुआ, जब सेना के प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान और आरएसएफ के कमांडर मोहम्मद हमदान डागालो के बीच सत्ता संघर्ष भड़क गया। इस टकराव ने देश को गृहयुद्ध की स्थिति में धकेल दिया।


आरएसएफ ने अब अपनी कार्रवाई को तेज कर दिया है, जिसमें ट्रक और ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। यह वही संगठन है जिसने 2000 के दशक में गैर-अरब समुदायों के खिलाफ अत्याचार किए थे।


जातीय सफाए का खतरा

अमेरिका और कई मानवाधिकार संगठनों ने आरएसएफ की गतिविधियों को नरसंहार और जातीय सफाए के रूप में वर्गीकृत किया है। येल एचआरएल की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएफ व्यवस्थित रूप से गैर-अरब समुदायों को निशाना बना रहा है।


संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1.5 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 1.2 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। लगभग 2.5 करोड़ लोग अकाल जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

एल-फशर में हिंसा के कारण 26,000 से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं। उपग्रह चित्रों में दिखाया गया है कि लोग दक्षिण की ओर ज़मज़म आईडीपी शिविर और पश्चिम की ओर तवीला की ओर जा रहे हैं।


आरएसएफ को अपनी सैन्य शक्ति बनाए रखने के लिए सूडान के सोने के अवैध व्यापार से सहायता मिलती है। रिपोर्टों के अनुसार, आरएसएफ ने दारफुर की स्वर्ण खदानों पर कब्जा कर लिया है।


संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने स्थिति को असहनीय बताया है, और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक इसे आधुनिक युग के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक मानते हैं। सूडान अब टूटने के कगार पर है।