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हमास ने ट्रंप के प्रस्ताव को किया खारिज, गाजा में सुरक्षा स्थिति पर बढ़ा तनाव

गाजा में युद्ध विराम के दौरान ट्रंप के नेतृत्व में एक प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य हमास को गाजा से बेदखल करना था। हालांकि, हमास ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, इसे खतरनाक बताते हुए। इस स्थिति ने क्षेत्र में तनाव को बढ़ा दिया है। नेतन्याहू ने ट्रंप की योजना को शांति की दिशा में एक कदम बताया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस प्रस्ताव को अपनाने का आह्वान किया है। जानें इस जटिल स्थिति के बारे में और अधिक।
 

गाजा में युद्ध विराम और हमास का रुख

जब ट्रंप के नेतृत्व में गाजा में युद्ध विराम की घोषणा हुई, तब यह तय हुआ था कि हमास अपने हथियार डाल देगा और एक अंतरराष्ट्रीय बल का गठन किया जाएगा, जो गाजा में सरकार की बहाली तक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। लेकिन अब हमास ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने हथियार नहीं डालेगा। ट्रंप और नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसका उद्देश्य हमास को गाजा से स्थायी रूप से बेदखल करना है। हालांकि, सुरक्षा परिषद ने इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही इसे खारिज कर दिया है। हमास ने इसे खतरनाक बताते हुए कहा है कि यह प्रस्ताव उनके अधिकारों और मांगों को पूरा करने में असफल है।


हमास का विरोध और नेतन्याहू की प्रतिक्रिया

हमास ने सुरक्षा परिषद के निर्णय को अस्वीकार करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव गाजा पर एक अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है। उन्होंने विशेष रूप से स्थिरीकरण बल को सशस्त्र समूहों को निष्क्रिय करने के निर्देश देने वाले प्रावधानों की आलोचना की। एक समाचार एजेंसी के अनुसार, हमास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बलों को गाजा में कार्य और भूमिकाएं सौंपना उनकी तटस्थता को समाप्त करता है। वहीं, नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि ट्रंप की योजना शांति और समृद्धि की दिशा में ले जाएगी, क्योंकि यह गाजा के पूर्ण निरस्त्रीकरण पर जोर देती है।


अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी मिशन ने कतर, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, जॉर्डन और तुर्की के साथ मिलकर एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें अमेरिकी प्रस्ताव को शीघ्र अपनाने का आह्वान किया गया। इंडोनेशिया और तुर्की ने द्वि-राष्ट्र समाधान की दिशा में काम करने की बात कही है, जबकि ब्रिटेन की विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से न्यायपूर्ण और स्थायी शांति के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।