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क्या है 'Menstrual Masking' ट्रेंड? जानें इसके पीछे का सच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

सोशल मीडिया पर 'Menstrual Masking' नामक एक नया ब्यूटी ट्रेंड तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, जिसमें लोग अपने पीरियड ब्लड को चेहरे पर लगाते हैं। समर्थकों का दावा है कि इससे त्वचा में निखार आता है, लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञ इसे खतरनाक मानते हैं। क्या यह सच में फायदेमंद है या केवल एक मिथक? जानें इस लेख में इसके पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों और चिंताओं के बारे में।
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क्या है 'Menstrual Masking' ट्रेंड? जानें इसके पीछे का सच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

नई दिल्ली में वायरल हो रहा 'Menstrual Masking'


नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर रात के समय स्क्रॉल करते हुए अचानक ऐसे वीडियो सामने आ सकते हैं, जिनमें लोग अपने पीरियड ब्लड को चेहरे पर लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जैसे कि यह कोई नया स्किनकेयर ट्रेंड हो। यह अजीब और चौंकाने वाला प्रयोग अब 'menstrual masking' के नाम से तेजी से फैल रहा है।
इन्फ्लुएंसर्स का कहना है कि पीरियड ब्लड में स्टेम सेल, साइटोकिन्स और प्रोटीन होते हैं, जो त्वचा को मरम्मत और पुनर्जीवित करने में मदद करते हैं। इसका मतलब है कि यह एक प्रकार का 'सेल्फ-केयर रिचुअल' है, जो शरीर को खुद को पुनर्नवीनीकरण करने में मदद करता है। लेकिन क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है, या यह केवल एक सोशल मीडिया ट्रेंड है जिसमें दावे विज्ञान से परे हैं?


Menstrual Masking: क्या है और लोग इसे क्यों अपनाते हैं?

यह वायरल ब्यूटी ट्रेंड जितना आकर्षक है, उतना ही चिंताजनक भी है। #periodfacemask या menstrual masking में लोग अपने पीरियड के खून को चेहरे पर एक DIY स्किन ट्रीटमेंट के रूप में लगाते हैं। समर्थकों का दावा है कि इससे त्वचा में निखार आता है, एक्ने कम होते हैं और त्वचा युवा दिखती है। हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञ इसे खतरनाक और बेकार मानते हैं।


वीडियो में कई उपयोगकर्ता मेन्स्ट्रुअल कप में जमा खून को चेहरे पर एक पतली परत के रूप में लगाते हैं और कुछ मिनटों बाद धो देते हैं। इस ट्रेंड को सोशल मीडिया पर लाखों व्यूज मिल चुके हैं। कुछ लोग इसे 'moon masking' या स्त्री शरीर और प्राकृतिक चक्रों से जुड़ने वाला एक आध्यात्मिक रिचुअल भी मानते हैं।


सोशल मीडिया पर इस ट्रेंड की बढ़ती लोकप्रियता

इस ट्रेंड की अपील कई कारणों से बढ़ रही है, जैसे कि यह प्राकृतिक स्किनकेयर का वादा करता है, वर्जित विषयों को तोड़ने का दावा करता है, और यह शरीर को खुद को ठीक करने का अवसर देता है। महंगे स्किनकेयर उत्पादों के खिलाफ एंटी-कैपिटलिस्ट तर्क और सबसे बड़ा शॉक वैल्यू भी इसकी लोकप्रियता में योगदान दे रहे हैं। लेकिन वायरल होना किसी भी चीज को वैज्ञानिक रूप से मान्य नहीं बनाता।


Menstrual Blood में क्या होता है?

पहली बात, पीरियड ब्लड केवल खून नहीं होता। इसमें रक्त (RBC, WBC सहित) और गर्भाशय की झिल्ली का कुछ हिस्सा शामिल होता है।


जब लोग कहते हैं कि इसमें स्टेम सेल होते हैं, तो यह पूरी तरह से गलत नहीं है, लेकिन यह अधूरा सच है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मेंस्ट्रुअल ब्लड स्टेराइल नहीं होता। इसे सीधे चेहरे पर लगाने से त्वचा में बैक्टीरिया, सूजनकारी कोशिकाएं और मृत ऊतक पहुंच सकते हैं।


क्लिनिकली इस्तेमाल होने वाले Platelet-Rich Plasma (PRP) की तुलना में इसका कोई मुकाबला नहीं है। PRP को प्रोसेस और स्टेराइल किया जाता है और डॉक्टर की निगरानी में लगाया जाता है। इसके विपरीत, पीरियड ब्लड जैविक रूप से मिश्रित तरल है, जो मानव चेहरे पर उपयोग के लिए कभी टेस्ट नहीं किया गया।


क्या वैज्ञानिक शोध 'Menstrual Masking' का समर्थन करते हैं?

एक भी पीयर-रिव्यू क्लीनिकल ट्रायल नहीं है जो यह साबित करे कि बिना प्रोसेस किए पीरियड ब्लड को चेहरे पर लगाना सुरक्षित या लाभदायक है। हालांकि, मेंस्ट्रुअल ब्लड से निकाले गए (Menstrual Blood-Derived Stem Cells) पर पुनर्जनन चिकित्सा में शोध हो रहा है, लेकिन यह प्रयोगशाला में, स्टेराइल स्थितियों में किया जा रहा है।


उदाहरण के लिए: 2019 के शोध में MenSCs से निकले exosomes ने डायबिटिक चूहों में घाव तेजी से भरे।


एक अन्य स्टडी में MenSCs को मानव एम्नियोटिक मेम्ब्रेन पर सीड करके चूहों में बेहतर वाउंड-हीलिंग मिली।


2021 की समीक्षा ने MenSC-exosomes को मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए संभावनापूर्ण बताया गया।