भगवान शिव के 8 पुत्र और 8 पुत्रियों की अद्भुत कहानियाँ
भगवान शिव के परिवार का परिचय
हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान शिव को देवों के देव महादेव के रूप में जाना जाता है। उनके पास नाग, डमरू और त्रिशूल होते हैं, और वे हमेशा राज करते हैं। उनकी पत्नी मां पार्वती, सती का पुनर्जन्म मानी जाती हैं, जिन्होंने शिव को पाने के लिए कठोर तप किया। शिव और पार्वती का विवाह गृहस्थ जीवन की शुरुआत का प्रतीक है, जिससे कई दिलचस्प कहानियाँ जुड़ी हैं।
भगवान शिव के 8 पुत्र
शिव और पार्वती के संतानें शिव पुराण, स्कंद पुराण और भागवत में वर्णित हैं। इनका जन्म सामान्य नहीं, बल्कि चमत्कारी रहा।
भगवान गणेश
गणेश जी को शिव का पहला बेटा माना जाता है। उनका जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने चंदन से गणेश का निर्माण किया और उन्हें द्वार पर बैठाया। जब शिव आए, तो गणेश ने उन्हें रोका, जिससे शिव ने क्रोधित होकर उनका सिर काट दिया। पार्वती के क्रोध के बाद, शिव ने गणेश को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया।
कार्तिकेय
कार्तिकेय को स्कंद, सुब्रमण्यम या मुरुगन के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म षष्ठी तिथि को हुआ। सती के आत्मदाह के बाद, शिव तप में लीन हो गए थे। देवताओं की प्रार्थना पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ, जिसके फलस्वरूप कार्तिकेय का जन्म हुआ।
सुकेश
सुकेश एक अनाथ बालक था, जिसे शिव और पार्वती ने गोद लिया। उसका विवाह गंधर्व कन्या देववती से हुआ।
जलंधर
जलंधर चौथा बेटा था, जो दुश्मन बन गया। भागवत पुराण के अनुसार, शिव ने उसे समुद्र में फेंका। जलंधर ने वृंदा से विवाह किया और अजेय बना।
अयप्पा
अयप्पा का जन्म शिव और विष्णु के मोहिनी रूप से हुआ। केरल के शबरीमलई मंदिर में उनकी पूजा होती है।
भौम
भौम का जन्म शिव के ललाट से पसीने की तीन बूंदों से हुआ।
भगवान शिव की 3 पुत्रियाँ
पार्वती ने कल्पवृक्ष से अशोक सुंदरी बनाई। ज्योति और मनसा माता भी शिव की बेटियाँ हैं।
5 नागकन्याएँ
पार्वती ने जल क्रीड़ा के दौरान पांच नाग कन्याओं को जन्म दिया।
