21 November Ka Panchang: मंगलवार का पंचांग, शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

Panchang Desk: पंचांग ज्योतिष के पांच अंगों का संयोजन है। पंचांग को प्राचीन काल से ही विशेष माना जाता है। इसकी सहायता से हम दिन के प्रत्येक भाग का शुभ और अशुभ समय जानते हैं। इसके आधार पर हम अपने शुभ कार्यों का संकेत देते हैं। अगर आप मंगलवार के दिन कोई शुभ काम करना चाहते हैं तो यहां जानें शुभ समय और अशुभ समय। मंगलवार को बन रहे शुभ योग कुछ लोगों के लिए भाग्यशाली साबित होने वाले हैं तो कुछ लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
मंगलवार, 21 नवंबर को राहु दोपहर 02:54 बजे से शाम 04:15 बजे तक है। चंद्रमा कुंभ राशि में गोचर करेगा.
विक्रम संवत् - 2080, आन्नाला
शक संवत् - 1945, शोभाकृत
पूर्णिमांत - कार्तिक
अमान्त - कार्तिक
तारीख
शुक्ल पक्ष नवमी - 21 नवंबर 03:16 AM - 22 नवंबर 01:10 AM
शुक्ल पक्ष दशमी - 22 नवंबर 01:10 पूर्वाह्न - 22 नवंबर 11:04 अपराह्न
तारामंडल
शतभिषा - 20 नवंबर 09:26 अपराह्न - 21 नवंबर 08:01 अपराह्न
पूर्वाभाद्रपद - 21 नवंबर 08:01 अपराह्न - 22 नवंबर 06:37 अपराह्न
करण
बालव - 21 नवंबर 03:16 पूर्वाह्न - 21 नवंबर 02:13 अपराह्न
कौलव - 21 नवंबर 02:13 अपराह्न - 22 नवंबर 01:10 पूर्वाह्न
टेटिल - 22 नवंबर 01:10 पूर्वाह्न - 22 नवंबर 12:07 अपराह्न
अंदाज़ करना
चिंता - 20 नवंबर 08:35 अपराह्न - 21 नवंबर 05:40 अपराह्न
हर्षण - 21 नवंबर 05:40 अपराह्न - 22 नवंबर 02:46 अपराह्न
समझदार
मंगलवार को
पर्व और व्रत
अक्षय नवमी
सूर्य और चंद्रमा का समय
सूर्योदय- प्रातः 6:48 बजे
सूर्यास्त - शाम 5:36 बजे
चंद्रोदय - 21 नवंबर दोपहर 1:39 बजे
चंद्रास्त - 22 नवंबर 1:29 पूर्वाह्न
अशुभ समय
राहु - 2:54 अपराह्न - 4:15 अपराह्न
यम गंड - सुबह 9:30 बजे - सुबह 10:51 बजे तक
कुलिक - दोपहर 12:12 बजे - दोपहर 1:33 बजे
दुर्मुहूर्त - 08:58 पूर्वाह्न - 09:41 पूर्वाह्न, 10:53 अपराह्न - 11:46 अपराह्न
वर्गीम - 02:03 पूर्वाह्न - 03:33 पूर्वाह्न
अच्छा समय
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:50 - दोपहर 12:34 बजे तक
अमृत काल - 01:15 PM - 02:45 PM
ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05:12 - प्रातः 06:00 बजे तक
आनंदादि योग
मृत्यु - रात्रि 08:01 बजे तक
कान
कुण्डली
सूर्य वृश्चिक राशि में है
राशि
चन्द्रमा कुम्भ राशि में (पूरे दिन-रात) गोचर करेगा।
चंद्र मास
अमान्त - कार्तिक
पूर्णिमांत - कार्तिक
शक संवत (राष्ट्रीय कैलेंडर) - कार्तक 30, 1945
वैदिक ऋतु-शरद ऋतु
द्रिक ऋतु-हेमन्त
चंद्राष्टम
1. पुनर्वसु अंतिम 1 पदम, पुष्य, आश्लेषा