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अहोई अष्टमी 2025: संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण व्रत

अहोई अष्टमी 2025 का व्रत कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से संतानवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए अहोई माता की पूजा करती हैं। जानें इस व्रत की पौराणिक कथा, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में।
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अहोई अष्टमी 2025: संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण व्रत

अहोई अष्टमी 2025 का महत्व


Ahoi Ashtami 2025: हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत मनाया जाता है। यह विशेष रूप से संतानवती महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उनकी सुरक्षा के लिए अहोई माता की पूजा करती हैं.


यह व्रत करवा चौथ के समान कठिन होता है, जिसमें महिलाएं पूरे दिन उपवासी रहकर व्रत करती हैं। संतान सुख की प्राप्ति के लिए इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.


पौराणिक कथा और महत्व

इस व्रत का पौराणिक महत्व एक दिलचस्प कथा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि एक महिला ने अनजाने में एक साही के बच्चे को मार दिया था, जिसके कारण उसके पुत्र की भी मृत्यु हो गई। इस दुख से परेशान महिला ने माता पार्वती से मार्गदर्शन लिया और उनसे अहोई माता की पूजा करने की सलाह ली। इसके बाद महिला ने पूजा की और उसके पुत्र को पुनः जीवन मिला। तभी से संतान की उम्र लंबी और सुखमय बनाने के लिए यह व्रत किया जाने लगा.


पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष अहोई अष्टमी 13 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी, जो रात 12:24 बजे से शुरू होकर 14 अक्टूबर को सुबह 11:09 बजे तक समाप्त होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर को शाम 05:33 बजे से लेकर 06:47 बजे तक रहेगा। इस दिन महिलाएं अहोई माता की पूजा करने के बाद रात को आकाश में तारे देखकर उन्हें अर्घ्य देती हैं। पूजा के दौरान शिव-पार्वती का ध्यान और शिव चालीसा का पाठ करना भी अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। इससे न केवल संतान के जीवन में खुशहाली आती है, बल्कि परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है.


शिव चालीसा का पाठ

अहोई अष्टमी के दिन शिव चालीसा का पाठ करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यदि आप संतान सुख की प्राप्ति और उनके जीवन में खुशहाली चाहती हैं, तो इस दिन शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें.