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आंध्र विश्वविद्यालय में 'जीवन सौरभालू' पुस्तक का विमोचन

आंध्र विश्वविद्यालय में एक भव्य समारोह में आचार्य येंडलूरी सुधाकर की नई पुस्तक 'जीवन सौरभालू' का विमोचन किया गया। इस पुस्तक में 50 प्रेरणादायक कहानियाँ शामिल हैं, जो लेखक के जीवन के अनुभवों पर आधारित हैं। पूर्व मंत्री डॉ. पल्ले रघुनाथ रेड्डी ने पुस्तक की सराहना की और इसे जीवन के संघर्षों का सामना करने का मार्गदर्शक बताया। जानें इस पुस्तक की विशेषताएँ और लेखक की प्रेरणादायक यात्रा के बारे में।
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आंध्र विश्वविद्यालय में 'जीवन सौरभालू' पुस्तक का विमोचन

पुस्तक विमोचन समारोह

आंध्र विश्वविद्यालय के तेलुगु विभाग में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जहां प्रसिद्ध लेखक आचार्य येंडलूरी सुधाकर की नई पुस्तक 'जीवन सौरभालू' का विमोचन किया गया। इस पुस्तक का विमोचन पूर्व मंत्री डॉ. पल्ले रघुनाथ रेड्डी ने किया। 'जीवन सौरभालू' का अर्थ 'जीवन की सुगंध' है और यह लेखक के जीवन के अनुभवों पर आधारित 50 प्रेरणादायक कहानियों का संग्रह है।

इस अवसर पर डॉ. पल्ले रघुनाथ रेड्डी ने आचार्य सुधाकर को 'चलता-फिरता पुस्तकालय' की उपाधि दी। उन्होंने कहा कि लेखक ने साधारण पृष्ठभूमि से उठकर साहित्य और अकादमिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। डॉ. रेड्डी ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा, "यह केवल कहानियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह जीवन के संघर्षों का सामना करने और उन्हें पार करने का एक मार्गदर्शक है। यह युवाओं को जीवन जीने की कला सिखाती है और उन्हें प्रेरित करती है।"

उन्होंने यह भी कहा कि आचार्य सुधाकर की सरल लेकिन प्रभावशाली लेखन शैली हर कहानी को जीवंत बनाती है और पाठकों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है। इस कार्यक्रम में आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पीवीजीडी प्रसाद रेड्डी, आर्ट्स कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर सरथ कुमार और अन्य साहित्यिक हस्तियां तथा छात्र उपस्थित थे। सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि 'जीवन सौरभालू' एक पठनीय पुस्तक है, जो जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।