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एयर इंडिया प्लेन क्रैश: ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का प्रभाव और सुरक्षा उपाय

अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 265 लोगों की जान चली गई, जो एक बड़ा सदमा है। इस घटना के पीछे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ग्रहों की भूमिका को समझा जा रहा है। वर्तमान में मंगल और केतु का योग सिंह राशि में बना हुआ है, जो दुर्घटनाओं की संभावना को बढ़ा सकता है। जानें इस घटना के पीछे के ज्योतिषीय कारण और ग्रहों के प्रभाव से बचने के उपाय।
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एयर इंडिया प्लेन क्रैश: ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का प्रभाव और सुरक्षा उपाय

एयर इंडिया प्लेन क्रैश की त्रासदी


अहमदाबाद में एयर इंडिया के विमान का दुर्घटनाग्रस्त होना न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा सदमा है। इस दुखद घटना में 265 लोगों की जान चली गई, जिसने समाज में गहरा असर छोड़ा है। यह हादसा हमें यह याद दिलाता है कि जीवन की अनिश्चितता और मृत्यु का कोई पूर्वानुमान नहीं होता। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसे हादसों के पीछे ग्रहों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है।


ज्योतिष में ग्रहों का योगदान

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी दुर्घटना में सूर्य और चंद्रमा की स्थिति का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा, राहु, केतु, शनि और मंगल ग्रह भी दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। ग्रहों की स्थिति असामान्य घटनाओं को जन्म दे सकती है।


वर्तमान ग्रह स्थिति

इस समय मंगल और केतु का योग सिंह राशि में बना हुआ है। मंगल 7 जून 2025 को सिंह राशि में प्रवेश कर चुका है, जबकि केतु 18 मई से वहीं हैं। इन दोनों ग्रहों का यह संयोग 7 से 28 जून 2025 तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद मंगल कन्या राशि में चले जाएंगे।


मंगल और केतु दोनों ही उग्र ग्रह माने जाते हैं, और इनकी युति को शुभ नहीं माना जाता। सिंह राशि अग्नि तत्व की राशि है, जिससे इन ग्रहों की ऊर्जा और भी तीव्र हो जाती है। इस स्थिति में दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है, जिससे तनावपूर्ण माहौल उत्पन्न हो सकता है।


12 जून 2025 का षडाष्टक योग

12 जून, गुरुवार को चंद्रमा धनु राशि में मूल नक्षत्र से संचार कर रहा था, साथ ही षडाष्टक योग भी बन रहा था। सिंह राशि में मंगल और शनि के बीच यह योग अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, षडाष्टक योग से तनाव, नुकसान और दुर्घटनाओं की संभावना अधिक होती है।


दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार ग्रह


  • शनि ग्रह: शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। शनि वाहन दुर्घटनाओं में भी प्रभावी होता है।

  • राहु ग्रह: राहु भी कई बार दुर्घटनाओं में भूमिका निभाता है।

  • मंगल ग्रह: मंगल का प्रभाव उग्र और तीव्र होता है, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

  • केतु ग्रह: केतु अचानक होने वाली गंभीर दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में केतु कमजोर स्थिति में हो, तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है।


ग्रहों के प्रभाव से बचाव के उपाय

ज्योतिष में मंगल और केतु की युति के दौरान हनुमान जी की आराधना को अत्यंत लाभकारी माना गया है। हनुमान जी संकट मोचन हैं और उनकी कृपा से ग्रहों के कष्टों से मुक्ति मिलती है।



  • मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

  • शनिवार के दिन शनि देव की आराधना करें। शनि मंदिर जाकर शनि देव को तेल अर्पित करने से भी ग्रह दोषों से राहत मिलती है।