काजोल की पहली हॉरर फिल्म 'मां': क्या दर्शकों को डरा पाई?

फिल्म 'मां' का परिचय
फिल्म 'मां' की समीक्षा: काजोल की पहली हॉरर फिल्म 'मां' आज, 27 जून 2025 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई है। अपने तीन दशकों के करियर में काजोल ने विभिन्न शैलियों में बेहतरीन अभिनय किया है, लेकिन हॉरर में यह उनकी पहली कोशिश है। विशाल फुरिया द्वारा निर्देशित यह पौराणिक हॉरर फिल्म 'लपाछपी' और 'छोरी' जैसी सफलताओं के बाद दर्शकों से बड़ी उम्मीदें जगाती है। लेकिन क्या यह फिल्म दर्शकों को डराने में सफल रही? आइए जानते हैं।
कहानी का सार
फिल्म की कहानी अंबिका (काजोल) के चारों ओर घूमती है, जो अपने पति शुवांकर (इंद्रनील सेनगुप्ता) और बेटी श्वेता (खेरिन शर्मा) के साथ कोलकाता में रहती है। कहानी पश्चिम बंगाल के चंद्रपुर गांव से शुरू होती है, जहां शुवांकर अपने पिता के निधन के बाद जाता है। वहां उसे एक दैत्य द्वारा मार दिया जाता है। कुछ महीनों बाद, अंबिका और श्वेता पुरानी हवेली बेचने चंद्रपुर पहुंचते हैं। लेकिन यह यात्रा जल्द ही एक दुःस्वप्न में बदल जाती है, क्योंकि दैत्य अब श्वेता को निशाना बनाता है। बाकी कहानी में अंबिका अपनी बेटी को बचाने की कोशिश करती है।
काजोल की भूमिका का विश्लेषण
काजोल की मां का किरदार
फिल्म की शुरुआत रोमांचक है और पहले 10 मिनट दर्शकों को बांधे रखते हैं। लेकिन जल्द ही कहानी कमजोर पड़ जाती है। पहले भाग में औसत प्रदर्शन होता है, और इंटरवल के बाद भी कहानी में ज्यादा सुधार नहीं होता। एक दृश्य, जिसमें अंबिका और श्वेता पर कुछ लड़कियां हमला करती हैं, रोमांच पैदा करता है। लेकिन कुल मिलाकर, फिल्म हॉरर के बजाय पूर्वानुमान योग्य और कम डरावनी है।
फिल्म की हॉरर स्क्रिप्ट
हॉरर तत्वों की कमी
लेखक साईविन क्वाड्रास और निर्देशक विशाल फुरिया ने पौराणिक तत्वों को अच्छे से पेश किया है। लेकिन हॉरर का अभाव फिल्म को कमजोर बनाता है। कहानी के कई हिस्से 'छोरी 2' की याद दिलाते हैं, जो इस साल ओटीटी पर रिलीज हुई थी। खलनायक का अंदाजा आसानी से लग जाता है, जिससे फिल्म का रोमांच कम होता है।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर
हॉरर फिल्मों में बैकग्राउंड स्कोर माहौल बनाने में महत्वपूर्ण होता है। लेकिन 'मां' का संगीत औसत है और डर पैदा करने में असफल रहता है। कुछ दृश्यों में स्कोर थोड़ा असर दिखाता है, लेकिन कुल मिलाकर यह निराश करता है।