कार्तिक पूर्णिमा: धार्मिक महत्व और पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इस वर्ष, यह पर्व आज मनाया जा रहा है। यह पूर्णिमा दिवाली के 15वें दिन आती है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन भक्तगण पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करते हैं, और दान-पुण्य करते हैं। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
देव दीपावली का पर्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। मान्यता है कि इस रात देवी-देवता काशी के घाटों पर उतरकर दीप जलाते हैं और दिवाली का उत्सव मनाते हैं। इस अवसर पर भगवान विष्णु के लक्ष्मी-नारायण स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है, जिससे घर में सुख-शांति और धन-समृद्धि बनी रहती है।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 4 नवंबर की रात 10:36 बजे से शुरू होकर 5 नवंबर की शाम 6:48 बजे तक रहेगी। इस दिन इस पावन तिथि का प्रभाव बना रहेगा। पवित्र गंगा स्नान और दान का शुभ समय आज सुबह 4:52 बजे से 5:44 बजे तक था। इस समय स्नान और दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। भक्त इस समय जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं, जैसे भोजन, वस्त्र या धन का दान करना।
पूजन मुहूर्त और दुर्लभ संयोग
कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा का सबसे शुभ समय सुबह 7:58 बजे से 9:20 बजे तक रहेगा। शाम का प्रदोषकाल मुहूर्त दीपदान के लिए सबसे अच्छा समय शाम 5:15 बजे से 7:51 बजे तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग दोनों बन रहे हैं। सर्वार्थसिद्धि योग 5 नवंबर सुबह 6:34 बजे से 6 नवंबर सुबह 6:37 बजे तक रहेगा। इन योगों में पूजा और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पूजन विधि
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना बहुत शुभ होता है।
- यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
- इसके बाद पीले या सफेद वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करें।
- तुलसी के पौधे के सामने दीप जलाएं।
- भगवान को पुष्प, धूप, नैवेद्य और तुलसी दल अर्पित करें।
- शाम के समय दीपदान, भजन-कीर्तन और दान करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
- इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की सबसे पवित्र तिथि मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना का होता है, लेकिन इस दिन भगवान शिव की पूजा भी विशेष फल देती है। इस पूर्णिमा की रात चांद अपनी पूरी कलाओं में होता है, जिसकी दिव्य चांदनी पृथ्वी पर शांति और समृद्धि का संदेश लाती है।
