कार्तिक मास में भगवान शिव की पूजा और दीपदान का महत्व

दीपदान का महत्व
जीवन में कठिनाइयाँ और समस्याएँ अक्सर आती हैं, जिससे व्यक्ति मानसिक तनाव का सामना करता है। यदि हम भगवान भोलेनाथ की आराधना करें, तो हमारे दुख धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। वर्तमान में कार्तिक मास चल रहा है, और इस महीने में भगवान शिव के समक्ष घी का दीप जलाने से सभी कष्टों का निवारण होता है। धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख है कि शिव के समक्ष दीप जलाने से व्यक्ति सभी इच्छाओं को प्राप्त कर सकता है। कार्तिक में दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
दीप जलाने की विधि
कार्तिक मास में भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं
लिंगपुराण के अनुसार, जो व्यक्ति इस महीने में शिवजी के समक्ष घी का दीपक अर्पित करता है, वह श्रद्धा के साथ परमेश्वर का दर्शन करता है और ब्रह्मलोक को जाता है।
जो व्यक्ति श्रद्धा से लोहे, तांबे, चांदी या सोने का दीपक शिव को अर्पित करता है, वह दस हजार सूर्यों के समान विमानों से शिवलोक को पहुँचता है।
अग्निपुराण में कहा गया है कि जो मनुष्य देवमंदिर या ब्राह्मण के घर में एक वर्ष तक दीपदान करता है, वह सब कुछ प्राप्त कर लेता है। कार्तिक में दीपदान करने वाला स्वर्गलोक को प्राप्त करता है। धार्मिक ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि दीपदान से बढ़कर कोई व्रत नहीं है। दीपदान से आयु और नेत्रज्योति की प्राप्ति होती है।
दीपदान से धन और संतान की प्राप्ति होती है।
दीपदान करने की विधि
दीपदान कैसे करें
मिट्टी, तांबा, चांदी, पीतल या सोने के दीपक लें और उन्हें अच्छे से साफ करें। मिट्टी के दीपक को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगोकर सुखा लें। फिर प्रदोषकाल या सूर्यास्त के बाद उचित समय पर दीपक, तेल, गाय का घी, बत्ती, चावल या गेहूं लेकर मंदिर जाएं। घी में रुई की बत्ती और तेल के दीपक में लाल धागे या कलावा की बत्ती का उपयोग करें। दीपक रखने से पहले उसे चावल या गेहूं या सात अनाजों का आसन दें।
दीपक को सीधे धरती पर न रखें। एक तेल का दीपक शिवलिंग के समक्ष और दूसरा गाय के घी का दीपक श्रीहरि नारायण के समक्ष रखें। फिर दीपक मंत्र पढ़ते हुए दोनों दीप प्रज्वलित करें और दीपक को प्रणाम करें। दारिद्रदहन शिवस्तोत्र और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करें। कार्तिक माह में यह दीपदान पांच दिन अवश्य करें। यदि किसी कारणवश प्रतिदिन दीपदान नहीं कर पाते हैं, तो पांच विशेष दिन अवश्य करें।