केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की

8वें वेतन आयोग का गठन
8वां वेतन आयोग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया है। यह कदम केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की तनख्वाह, पेंशन और भत्तों में सुधार के लिए उठाया गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात की जानकारी दी, जो बजट 2025 से पहले की गई है। आयोग का मुख्य उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों और पेंशन पाने वालों के आर्थिक हितों की सुरक्षा करना है।
आठवां वेतन आयोग की भूमिका:
यह आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों और रिटायर व्यक्तियों (पेंशनभोगियों) के लिए कार्य करेगा। इसका मुख्य कार्य यह निर्धारित करना है कि उनकी सैलरी, महंगाई भत्ता (DA) और पेंशन में क्या परिवर्तन किए जाएँ। आयोग महंगाई के आधार पर भत्तों में वृद्धि या कमी की सिफारिश करेगा, ताकि सभी को उचित आर्थिक सहायता मिल सके।
संभावित सैलरी वृद्धि:
सरकार ने अभी तक सैलरी में संभावित वृद्धि के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। हालांकि, कुछ रिपोर्टों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर के आधार पर बेसिक सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये तक हो सकती है।
फिटमेंट फैक्टर की परिभाषा:
फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा मान है जिसका उपयोग सैलरी और पेंशन की गणना के लिए किया जाता है। इसमें महंगाई, सरकार की आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है।
लाभार्थियों की संख्या:
लगभग 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी (जिसमें रक्षा कर्मी भी शामिल हैं) और लगभग 65 लाख पेंशनभोगी इस आयोग से लाभान्वित होंगे। 8वां वेतन आयोग 2026 तक लागू होने की संभावना है, और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकती हैं।
वेतन आयोग का कार्य:
हर 10 साल में एक वेतन आयोग का गठन किया जाता है, जो सरकारी कर्मचारियों की सैलरी, भत्ते, पेंशन और बोनस की समीक्षा करता है। यह महंगाई, देश की आर्थिक स्थिति और सरकारी आय को ध्यान में रखते हुए सुझाव देता है कि वेतन और भत्ते कैसे बढ़ाए या घटाए जाएं।
पिछले वेतन आयोग:
1946 से अब तक भारत में सात वेतन आयोग स्थापित हो चुके हैं। इनमें से सातवां वेतन आयोग 2016 से लागू है। अब मोदी सरकार ने नए वेतन आयोग के गठन का निर्णय लिया है, जो अगले 10 वर्षों के लिए कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए सकारात्मक समाचार हो सकता है।