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केदारनाथ धाम का महत्व और पांडवों की कथा

केदारनाथ धाम, जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है, का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे पांडवों ने भगवान शिव की खोज की और केदारनाथ धाम का निर्माण हुआ। महाभारत से जुड़ी इस कथा में पांडवों की कठिनाइयों और शिवलिंग के प्रकट होने की कहानी को विस्तार से बताया गया है। जानें इस पवित्र स्थल की पौराणिक कथा और इसके महत्व के बारे में।
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केदारनाथ धाम का महत्व और पांडवों की कथा

केदारनाथ धाम का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में केदारनाथ धाम का विशेष स्थान है, जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इसे भगवान शिव का निवास स्थान भी माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महादेव हमेशा केदारनाथ धाम में उपस्थित रहते हैं। इस कारण हर साल हजारों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। जो भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में जाते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। केदारनाथ धाम से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक महाभारत में भी वर्णित है। इस लेख में हम जानेंगे कि केदारनाथ धाम का निर्माण कैसे हुआ।


श्रीकृष्ण ने बताया था मुक्ति का मार्ग

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महाभारत युद्ध में विजय के बाद, पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर का शासन संभाला। एक बार जब श्रीकृष्ण और पांडव युद्ध पर चर्चा कर रहे थे, तब पांडवों ने कहा कि वे अपने भाइयों की हत्या के कलंक से कैसे मुक्त हो सकते हैं। श्रीकृष्ण ने बताया कि महादेव ही उन्हें इस पाप से मुक्ति दिला सकते हैं।


भगवान शिव की खोज में निकले पांडव

इसके बाद पांडवों ने राजपाठ छोड़कर महादेव की खोज करने का निर्णय लिया। जब उन्हें श्रीकृष्ण के शरीर त्यागने की खबर मिली, तो वे बहुत दुखी हुए। पांडवों ने हस्तिनापुर का राज्य परीक्षित को सौंपकर द्रौपदी के साथ भगवान शिव की तलाश में निकल पड़े।


भोलेनाथ को खोजने हिमालय पहुंचे पांडव

भगवान शिव के दर्शन के लिए पांडव और द्रौपदी व्याकुल थे। पहले वे काशी गए, लेकिन वहां शिव नहीं मिले। इसके बाद कई स्थानों पर गए, लेकिन महादेव हर बार वहां से चले जाते थे। अंततः पांडव हिमालय पहुंचे। जब भगवान शिव ने उन्हें देखा, तो वह छिप गए, लेकिन युधिष्ठिर ने उन्हें देख लिया और कहा कि वे बिना शिव के दर्शन के वहां से नहीं जाएंगे।


शिव ने पांडवों को किया पापों से मुक्त

भगवान शिव से मिलने के लिए पांडव आगे बढ़े, तभी एक बैल ने उन पर हमला कर दिया। भीम ने बैल से लड़ाई की और बैल का सिर चट्टान से अलग हो गया, जिससे शिवलिंग प्रकट हुआ। भगवान शिव ने पांडवों को उनके पापों से मुक्त कर दिया।


केदारनाथ में विराजमान है शिवलिंग

भगवान शिव के दर्शन कर पांडवों ने उन्हें प्रणाम किया और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगी। महादेव ने उन्हें स्वर्ग का मार्ग बताया और अंतर्ध्यान हो गए। इसके बाद पांडवों ने शिवलिंग की पूजा की, जो आज केदारनाथ धाम के रूप में जाना जाता है।