गुरु नानक देव: सिख धर्म के संस्थापक और उनके अद्वितीय विचार
गुरु नानक देव, सिख धर्म के संस्थापक, का जीवन और उनके अद्वितीय विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उनका जन्म 1469 में हुआ और उन्होंने धार्मिक पाखंडों का विरोध करते हुए मानवता की सेवा की। गुरु नानक की शिक्षाएं न केवल सिखों के लिए, बल्कि समस्त मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। जानें उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं और उनके विचारों का महत्व।
| Nov 4, 2025, 17:52 IST
गुरु नानक देव का जीवन और शिक्षाएं
गुरु नानक देव, जो सिख धर्म के पहले गुरु हैं, केवल सिखों में ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों में भी अत्यधिक सम्मानित हैं। उनका जन्म 1469 में तलवंडी में हुआ, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को गुरु नानक जयंती मनाई जाती है, जिसे 'प्रकाश पर्व' भी कहा जाता है। इस वर्ष, 5 नवंबर को गुरु नानक का 556वां प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि गुरु नानक जयंती को कार्तिक पूर्णिमा पर ही क्यों मनाया जाता है। नानक ने केवल पांच साल की उम्र में धार्मिक और आध्यात्मिक चर्चाओं में रुचि लेना शुरू कर दिया था। वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर परमात्मा का कीर्तन करते थे और अकेले में घंटों तक भक्ति में लीन रहते थे।
जब नानक 9 वर्ष के हुए, उनके पिता कालूचंद खत्री ने उनका यज्ञोपवीत संस्कार कराने के लिए पुरोहित को बुलाया। जब पुरोहित ने जनेऊ पहनाने के लिए उनका हाथ बढ़ाया, तो नानक ने पूछा कि इससे क्या लाभ होगा। पुरोहित ने कहा कि यह जनेऊ मोक्ष दिलाता है। नानक ने उत्तर दिया कि सूत का बना यह जनेऊ कैसे मोक्ष दिला सकता है, क्योंकि यह परलोक में नहीं जाता। उनके इस प्रश्न ने सभी को प्रभावित किया और पुरोहित को यह मानना पड़ा कि वे अंधविश्वास में डूबे हैं।
गुरु नानक का विवाह 19 वर्ष की आयु में हुआ, लेकिन उन्होंने गृहस्थ जीवन को त्यागकर परमात्मा की खोज में निकलने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने पिता के व्यवसाय में भी रुचि नहीं दिखाई और सभी धन को साधु-संतों में बांट दिया। गुरु नानक ने पाखंडों का विरोध किया और लोगों को सच्चाई का ज्ञान देने का प्रयास किया।
एक बार, भागो मलिक नामक एक अमीर ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया, लेकिन नानक ने निमंत्रण स्वीकार नहीं किया। उन्होंने एक मजदूर के निमंत्रण को स्वीकार किया। भागो ने नानक को अपमानित किया, लेकिन नानक ने सरलता से कहा कि उनकी कमाई पाप की है। जब भागो ने नानक को चुनौती दी, तो नानक ने दोनों हाथों में भोजन लेकर दिखाया कि मजदूर की बासी रोटी से दूध निकल रहा है, जबकि भागो के व्यंजनों से खून। यह देखकर भागो का अहंकार चूर-चूर हो गया।
गुरु नानक ने हरिद्वार में देखा कि लोग गंगा में स्नान करते समय पूर्व दिशा में जल अर्पित कर रहे हैं। उन्होंने पश्चिम दिशा में जल अर्पित करना शुरू किया और लोगों से पूछा कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। जब लोगों ने बताया कि वे अपने पूर्वजों को जल अर्पित कर रहे हैं, तो नानक ने उन्हें समझाया कि यदि जल उनके खेतों तक नहीं पहुंच सकता, तो यह जल उनके पूर्वजों तक कैसे पहुंचेगा। इस पर लोगों ने गुरु जी के चरणों में गिरकर प्रार्थना की।
गुरु नानक ने जीवनभर मानवता की सेवा की और शोषितों के लिए संघर्ष किया। उनकी वाणी को परमात्मा की वाणी माना गया और उनके उपदेश सभी के लिए उपयोगी हैं।
