गुरु पूर्णिमा 2025: गुरु की महिमा और विशेष अनुष्ठान

गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 10 जुलाई को आएगा। यह दिन गुरु को समर्पित है, और हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। यह पर्व भारत, नेपाल और अन्य देशों में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। गुरु शब्द का अर्थ है 'अंधकार' को दूर करने वाला।
गुरु पूर्णिमा का दिन
गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु के प्रति श्रद्धा और प्रेम प्रकट करने का अवसर है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन गुरु की पूजा करने से कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, जिन्हें आदि गुरु माना जाता है। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हैं, क्योंकि भगवान गौतम बुद्ध ने इसी दिन अपने पहले शिष्यों को उपदेश दिया था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरु और शिष्य दोनों की भूमिका निभाएंगे। वे अपने पूर्व गुरुओं का पूजन करेंगे और फिर अपने शिष्यों को आशीर्वाद देंगे।
जीवन के पांच गुरु
जीवन में माँ को पहला गुरु माना जाता है। इसके बाद धरती माता, पिता, शिक्षक और आध्यात्मिक गुरु आते हैं। ये सभी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भगवद्गीता का दान
गुरु पूर्णिमा के दिन भगवद्गीता का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इसे किसी धार्मिक व्यक्ति को मंदिर में दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
शुभ दान
इस दिन ज्ञान का दान करना भी अत्यंत शुभ है। आप बच्चों को अध्ययन सामग्री उपहार में दे सकते हैं।
भगवान विष्णु को काली हल्दी का अर्पण
भगवान विष्णु को काली हल्दी की पाँच गांठें अर्पित करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। इन गांठों को पीले कपड़े में बांधकर धन रखने के स्थान पर रखें। इससे आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।