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छठ पूजा 2023: बिहार के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

छठ पूजा 2023 का महापर्व 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से बिहार में धूमधाम से मनाया जाता है, जहां श्रद्धालु सूर्य देवता की पूजा करते हैं। इस लेख में हम बिहार के प्रमुख घाटों जैसे देव सूर्य मंदिर, मुंगेर का कष्टहरणी घाट, और भागलपुर का बरारी घाट की विशेषताओं के बारे में जानेंगे। जानें कैसे ये स्थल श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और शांति का केन्द्र बनते हैं।
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छठ पूजा 2023: बिहार के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

छठ महापर्व का उत्सव


इस वर्ष छठ पूजा का महापर्व 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से बिहार और उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर सूर्य देवता की पूजा की जाती है, जिसमें व्रति उगते और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। बिहार के घाटों पर इस पर्व की भव्यता देखने को मिलती है, जहां लाखों श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के साथ एकत्र होते हैं। पटना के गंगा घाटों की पहचान तो विशेष है, लेकिन बिहार के अन्य ऐतिहासिक घाट भी इस समय अपनी महत्ता को बढ़ाते हैं।


देव सूर्य मंदिर, औरंगाबाद

औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर छठ पूजा के प्रमुख स्थलों में से एक है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी प्राचीन वास्तुकला भी इसे प्रसिद्ध बनाती है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा ने इसे एक रात में बनाया था। मंदिर का मुख पश्चिम दिशा में है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाता है। छठ के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है, और सूर्यकुंड तालाब में लोग सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जिससे यहां की धार्मिक ऊर्जा और भी प्रबल हो जाती है।


मुंगेर का कष्टहरणी घाट

मुंगेर का कष्टहरणी घाट गंगा नदी के किनारे स्थित है और यह छठ पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। 'कष्टहरणी' का अर्थ है 'कष्टों को दूर करने वाला', जो इस घाट की धार्मिक महत्ता को दर्शाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने ताड़का का वध करने के बाद यहीं गंगा में स्नान किया था, जिससे घाट का महत्व और बढ़ गया। छठ के समय यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यहां का दृश्य, विशेषकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय, अत्यंत मनमोहक होता है।


हाजीपुर का कोनहारा घाट

कोनहारा घाट हाजीपुर में गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। यहां की पवित्रता और शुद्धता छठ के दौरान और भी अधिक अनुभव होती है। यह घाट श्रद्धालुओं के लिए शांति और भक्ति का केन्द्र बन जाता है, जहाँ लोग गंगा स्नान करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। छठ के दौरान यहां का दृश्य बहुत ही भव्य और शांत होता है।


गया का फल्गु नदी तट

गया बिहार का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। फल्गु नदी, जो अधिकांश समय सूखी रहती है, छठ पूजा के दौरान पुनः जीवंत हो उठती है। गया में कई प्राचीन घाट और मंदिर स्थित हैं। छठ के दौरान श्रद्धालु मुख्य रूप से नदी के किनारे अस्थायी जलकुंडों का निर्माण करते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह स्थल बिहार के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ाता है।


भागलपुर का बरारी घाट

भागलपुर का बरारी घाट बिहार के सबसे बड़े और सुव्यवस्थित गंगा घाटों में से एक है। यह घाट अपनी विशाल चौड़ाई और पक्की सीढ़ी घाट के लिए प्रसिद्ध है, जिससे यहां लाखों श्रद्धालु एक साथ अर्घ्य अर्पित करने आते हैं। छठ पूजा के दौरान, भागलपुर के साथ-साथ आसपास के जिलों जैसे मुंगेर और बांका के श्रद्धालु भी यहां गंगा स्नान करने और गंगाजल लेने आते हैं। इस घाट का आकार और व्यवस्था इसे एक आदर्श सामुदायिक पूजा स्थल बनाती है।