छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का तलाक का आदेश: मानसिक क्रूरता के आधार पर फैसला

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का निर्णय
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक फैमिली कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए पति को पत्नी से तलाक लेने का आदेश दिया है। दरअसल, पत्नी अपने पति को 'पालतू चूहा' कहकर बुलाती थी, जो कि मानसिक क्रूरता के रूप में देखा गया। कोर्ट ने इस व्यवहार को तलाक का आधार मानते हुए आदेश जारी किया।
तलाक की मंजूरी और भरण-पोषण
कोर्ट ने पत्नी की अपील को खारिज करते हुए तलाक को मंजूरी दी और पति को 5 लाख रुपये स्थायी भरण-पोषण देने का निर्देश दिया। यह मामला दांपत्य जीवन में अपमानजनक भाषा और पारिवारिक मूल्यों के टकराव को उजागर करता है।
अपमानजनक शब्दों का प्रभाव
भारतीय समाज में परिवार और सम्मान के रिश्तों में शब्दों का गहरा प्रभाव होता है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अनोखे मामले में फैसला सुनाया, जहां पति-पत्नी के बीच अपमानजनक शब्दों का प्रयोग और माता-पिता से अलगाव की मांग तलाक का कारण बनी। पत्नी द्वारा पति को 'पालतू चूहा' कहने और माता-पिता को छोड़ने का दबाव डालने को कोर्ट ने मानसिक क्रूरता माना।
पत्नी का व्यवहार
माता-पिता के खिलाफ भड़काना: जस्टिस रजनी दुबे और अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने 2019 के फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया। पति ने दावा किया कि पत्नी उन्हें माता-पिता के खिलाफ भड़काती थी और संयुक्त परिवार में रहने से इनकार करती थी। कोर्ट ने माना कि माता-पिता के प्रति अपमानजनक व्यवहार और अपशब्द क्रूरता की श्रेणी में आते हैं।
पति के सबूत
अपने माता-पिता को छोड़ने का दबाव: पति ने कोर्ट में सबूत पेश किए कि पत्नी 2011 में कुछ समय के लिए लौटने के अलावा, लंबे समय तक अपने मायके में रही। पत्नी ने स्वीकार किया कि उसने पति को मैसेज भेजकर कहा था, 'अपने माता-पिता को छोड़ो और मेरे साथ रहो।' कोर्ट ने इसे परित्याग का आधार माना।
कोर्ट का निष्कर्ष
मानसिक क्रूरता का मामला: हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय संस्कृति में माता-पिता को छोड़ने का दबाव डालना गंभीर मानसिक क्रूरता है। पत्नी के व्यवहार को अस्वीकार्य मानते हुए, कोर्ट ने उसकी वैवाहिक अधिकारों की बहाली की मांग को भी खारिज कर दिया।