तुलसी पूजा के नियम: एकादशी और द्वादशी पर क्या करें?
तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। जानें कि एकादशी और द्वादशी पर तुलसी जी की पूजा के क्या नियम हैं। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, तुलसी की पूजा से पापों का नाश होता है। इस लेख में तुलसी की पूजा के महत्व और एकादशी-द्वादशी पर क्या करना चाहिए, इस पर विस्तृत जानकारी दी गई है।
| Dec 16, 2025, 15:48 IST
तुलसी का महत्व और पूजा के नियम
हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पूजनीय है। हर घर में इसकी पूजा की जाती है, और इसे आध्यात्मिक तथा धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। तुलसी जी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, और उनकी पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में पूजा-पाठ के लिए कई नियम निर्धारित हैं, जिनमें से एक तुलसी की पूजा के विशेष नियम हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़ी जाती हैं। इसके अलावा, तुलसी के पौधे को जल देना भी शुभ नहीं माना जाता। अक्सर यह प्रश्न उठता है कि एकादशी के दिन तुलसी जी को छूना या जल चढ़ाना शुभ है या अशुभ। आइए जानते हैं वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज जी के विचार।
तुलसी की पूजा का महत्व
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, तुलसी जी की पूजा, दर्शन और सेवा से सभी प्रकार के पाप समाप्त होते हैं। जो व्यक्ति तुलसी की मंजरी को भगवान के चरणों में अर्पित करता है, वह यमपुरी के भय से मुक्त रहता है। घर में तुलसी का पौधा लगाने से श्राद्ध कर्म के समान लाभ होता है और पितर भी तृप्त होते हैं। तुलसी काष्ठ से चंदन घिसकर लगाने से संचित पाप समाप्त हो जाते हैं और वर्तमान पापों का प्रभाव भी कम होता है।
क्या एकादशी पर तुलसी तोड़ना चाहिए? प्रेमानंद महाराज का उत्तर
प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया है कि एकादशी तिथि पर तुलसी की पूजा, तोड़ना या जल चढ़ाना संभव है। एकादशी के दिन तुलसी जी को छूने या जल चढ़ाने से कोई पाप नहीं लगता। हालांकि, द्वादशी तिथि पर तुलसी की सेवा या स्पर्श करना अधिक श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन तुलसी जी को छूने से बचना चाहिए।
द्वादशी पर तुलसी तोड़ने का निषेध क्यों?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, द्वादशी तिथि पर तुलसी की पत्तियां तोड़ना और स्पर्श करना ब्रह्म हत्या के समान पाप माना जाता है। इस दिन तुलसी जी को दूर से प्रणाम करना चाहिए और उन्हें छूने से बचना चाहिए। शास्त्रों में द्वादशी तिथि को तुलसी के प्रति विशेष संवेदनशील और पवित्र माना गया है। इस दिन उनकी सेवा या स्पर्श से बचना आवश्यक है।
