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त्रिपुष्कर योग: शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय

इस लेख में त्रिपुष्कर योग और रवि योग के महत्व पर चर्चा की गई है। जानें कि कैसे इस दिन किए गए कार्यों से सफलता प्राप्त की जा सकती है। विशेष उपायों के माध्यम से आप अपने कार्यों में स्थिरता और समृद्धि ला सकते हैं। इस दिन शुभ कार्यों की शुरुआत करने का सही समय है।
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त्रिपुष्कर योग: शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय

त्रिपुष्कर योग का महत्व

नई दिल्ली: आषाढ़ माह की शुक्ल सप्तमी तिथि इस बार मंगलवार को आ रही है। इस दिन सूर्य मिथुन राशि में और चंद्रमा सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन त्रिपुष्कर और रवि योग का निर्माण हो रहा है।


षष्ठी तिथि और त्रिपुष्कर योग

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 30 जून को सुबह 10:20 बजे तक रहेगी, इसके बाद सप्तमी तिथि का आरंभ होगा। मंगलवार को त्रिपुष्कर योग का निर्माण होने से इस दिन किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक होती है।


त्रिपुष्कर योग की विशेषताएँ

विष्कंभ फलित ज्योतिष के अनुसार, सत्ताईस योगों में त्रिपुष्कर योग पहले स्थान पर आता है। यह योग तब बनता है जब रविवार, मंगलवार या शनिवार को द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी तिथि हो और विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु या कृत्तिका नक्षत्र हो। रवि योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से 4, 6, 9, 10, 13 और 20वें स्थान पर हो।


शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय

त्रिपुष्कर योग को अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसमें किए गए कार्यों का फल तीन गुना होता है। यह योग विशेष रूप से व्यापार, संपत्ति खरीद, विवाह, शिक्षा, वाहन खरीद और नए कार्यों की शुरुआत के लिए लाभकारी होता है। इस दिन शुभ कार्यों की शुरुआत से उनका प्रभाव स्थायी और दीर्घकालिक होता है।


सफलता के लिए उपाय

इस योग में सफलता पाने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। भगवान विष्णु या अपने इष्टदेव का पूजन करें और संकल्प लेकर उन्हें वस्त्र, इत्र, फूल, आभूषण, दीप-धूप और नैवेद्य अर्पित करें। आरती करने के बाद प्रसाद ग्रहण करें। दान-पुण्य करने से कार्य में स्थिरता और समृद्धि बनी रहती है।


रवि योग का महत्व

रवि योग सूर्य और चंद्रमा के विशेष संयोग से बनता है और इसे विघ्नों का नाशक माना जाता है। इस दिन शुरू किए गए कार्य पूरे होते हैं। शिक्षा, परीक्षा, सर्जरी, नया व्यवसाय शुरू करने और यात्रा के लिए यह योग उत्तम है। प्रातः सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें और "ॐ सूर्याय नमः" का जाप करें।