दुर्गा सप्तशती पाठ: नवरात्रि में माता दुर्गा की कृपा पाने के उपाय

दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व
नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि 2025 का समय माता दुर्गा की आराधना में लिप्त होने का है। इस अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह पवित्र ग्रंथ, जिसे चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है, देवी दुर्गा की महिमा और राक्षसों पर उनकी विजय की कथा प्रस्तुत करता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम
सही वस्त्र और तैयारी: पाठ आरंभ करने से पहले स्नान करके लाल या पीले वस्त्र धारण करें, क्योंकि ये रंग नवरात्रि में शुभ माने जाते हैं। इसके बाद गंगाजल छिड़ककर माता का ध्यान करें।
मंत्र जाप आवश्यक: पाठ शुरू करने से पहले ‘ओम अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः’ मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के बिना पाठ आरंभ करना उचित नहीं है।
कवच, कीलक और अर्गला का पाठ: किसी भी अध्याय की शुरुआत से पहले कवच, कीलक और अर्गला का पाठ करना अनिवार्य है। इनके बिना पाठ का पूरा फल नहीं मिलता। इसके बाद ही 13 अध्यायों का पाठ करें।
पाठ का सही तरीका
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ एक बार में करना चाहिए। ऐसा करने से माता की कृपा और शुभ फल प्राप्त होते हैं। यदि समय की कमी हो, तो इसे तीन भागों में बांटकर पढ़ सकते हैं: प्रथम चरित्र (पहला अध्याय), मध्यम चरित्र (दूसरा से चौथा अध्याय), और उत्तर चरित्र (पांचवां से 13वां अध्याय)। यदि यह भी संभव न हो, तो नवरात्रि के 9 दिनों में 13 अध्यायों का पाठ करने का संकल्प लें। इससे सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
पाठ के बाद आवश्यक कदम
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ समाप्त करने के बाद क्षमा प्रार्थना और रात्रि सूक्तम का पाठ अवश्य करें। नवरात्रि के नौ दिनों में विधिपूर्वक पाठ करने से जीवन के सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और इच्छाएं पूरी होती हैं। इन नियमों का पालन करके आप माता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।