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निक्की हत्या मामला: दहेज प्रथा और पितृसत्तात्मक सोच का काला सच

नोएडा के सिरसा गांव में निक्की की हत्या ने दहेज प्रथा और पितृसत्तात्मक सोच की काली सच्चाई को उजागर किया है। निक्की ने अपनी पढ़ाई और हुनर से आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की, लेकिन ससुराल वालों की रूढ़िवादी सोच और पति की चरित्रहीनता ने उसकी जिंदगी को नर्क बना दिया। इस मामले ने समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। जानें पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
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निक्की हत्या मामला: दहेज प्रथा और पितृसत्तात्मक सोच का काला सच

निक्की की दुखद मौत का मामला

Nikki Murder Case: नोएडा के सिरसा गांव में निक्की की दुखद मृत्यु ने समाज की संकीर्ण सोच और दहेज प्रथा की काली सच्चाई को उजागर किया है। यह घटना न केवल मानवीय रिश्तों की कड़वाहट को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि शिक्षित और आत्मनिर्भर महिलाएं पितृसत्तात्मक बंधनों से क्यों नहीं निकल पा रही हैं।


शिक्षा और आत्मनिर्भरता का सफर

रूपबांस के निवासी भिखारी ने अपनी दोनों बेटियों, निक्की और कंचन, को एनटीपीसी डीपीएस से बीए तक पढ़ाया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि शादी के बाद भी उनकी बेटियां बोझ न बनें, इसलिए उन्होंने उन्हें ब्यूटीशियन का कोर्स भी कराया। शादी के बाद, दोनों बहनों ने अपने घर में ब्यूटी पार्लर खोला, जो उनके हुनर और मेहनत के कारण इलाके में प्रसिद्ध हो गया।


पति की चरित्रहीनता का सामना

तीन साल पहले निक्की को अपने पति विपिन की चरित्रहीनता का पता चला। बेटे की परवरिश पर असर न पड़े, इस सोच के साथ उसने विरोध करना शुरू किया, जिससे घर में कलह की शुरुआत हुई। विपिन, जो नशे का आदी था, निक्की से पैसे लेता और उन्हें शराब और अन्य महिलाओं पर खर्च करता था। जब निक्की ने पैसे देना बंद कर दिया, तो उसने उसे पीटना शुरू कर दिया।


सास की भूमिका

पति-पत्नी के बीच की दरार को बढ़ाने में सास दया की महत्वपूर्ण भूमिका थी। वह निक्की के खिलाफ जहर उगलती और विपिन को भड़काती। "मुंह नहीं ढकती" और "खाना रखकर बता कर नहीं गई" जैसी बातें कहकर वह बेटे को निक्की के खिलाफ उकसाती, जिसके परिणामस्वरूप निक्की की पिटाई होती।


सोशल मीडिया पर सफलता और जलन

निक्की ने अपने ब्यूटी पार्लर के प्रचार के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। इंस्टाग्राम पर उसके लगभग 64 हजार फॉलोअर्स हैं, और उसके सभी फोटो-वीडियो पार्लर से जुड़े काम को दर्शाते हैं। विपिन, जो उसकी सफलता से जलता था, उसे गलत तरीके से आरोपित करता और पीटता था।


गुर्जर समाज की दोहरी मानसिकता

गुर्जर समाज की पंचायतें हमेशा से महिलाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने का दावा करती रही हैं। लेकिन जब निक्की और कंचन ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया, तो ससुराल वालों ने इसे स्वीकारने के बजाय उनकी जिंदगी को और कठिन बना दिया।