Newzfatafatlogo

पितृ पक्ष की दशमी तिथि: श्राद्ध का महत्व और शुभ मुहूर्त

पितृ पक्ष की दशमी तिथि पर श्राद्ध का विशेष महत्व है। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन इसी तिथि को हुआ था। जानें इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त, श्राद्ध विधि और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह दिन परिवार में शांति और मानसिक स्थिरता लाने का अवसर प्रदान करता है।
 | 
पितृ पक्ष की दशमी तिथि: श्राद्ध का महत्व और शुभ मुहूर्त

दशमी तिथि का महत्व


दशमी तिथि को धर्म, सदाचार और शांति का प्रतीक माना जाता है।
पितृ पक्ष की दशमी तिथि पर उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है, जिनका निधन इसी तिथि को हुआ था। इस दिन श्राद्ध करने से न केवल पितरों को शांति मिलती है, बल्कि परिवार में मानसिक स्थिरता और शांति भी स्थापित होती है।


कुतुप काल में श्राद्ध का महत्व

दिवंगत पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करने से वे तृप्त होते हैं और परिवार पर आशीर्वाद बरसाते हैं। पितृ पक्ष में कुतुप काल को श्राद्ध और तर्पण के लिए शुभ माना जाता है, जो सीधे पितरों से जुड़ा होता है।


दशमी श्राद्ध अनुष्ठान तिथि


  • दशमी तिथि प्रारंभ: 16 सितंबर, सुबह 1 बजकर 31 मिनट से।

  • दशमी तिथि समापन: 17 सितंबर, सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक।


कुतुप काल का मुहूर्त


  • कुतुप मुहूर्त: आज दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक।

  • रोहिणी मुहूर्त: आज दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से 1 बजकर 47 मिनट तक।

  • अपराह्न काल: आज दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से 4 बजकर 13 मिनट तक।


दशमी तिथि के श्राद्ध का महत्व

दशमी तिथि को धर्म, सदाचार और शांति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन किया गया श्राद्ध उन पितरों के लिए विशेष फलदायी होता है, जिनकी मृत्यु इसी तिथि को हुई थी। शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध उसी तिथि को करना श्रेष्ठ माना गया है, जिस दिन पितृ का देहावसान हुआ।


मान्यता है कि इस दिन पितरों की आत्मा आसानी से आह्वान पर आती है और संतुष्ट होकर परिवार की रक्षा करती है। दशमी तिथि का श्राद्ध करने से संतान सुख, आयु वृद्धि और परिवार में शांति का आशीर्वाद मिलता है।


दशमी तिथि के श्राद्ध में क्या करें


  • आज दशमी तिथि के अवसर पर गंगा जल, तिल, जौ, कुश और चावल का उपयोग कर पिंडदान करना चाहिए।

  • पितरों के नाम से अन्न, जल और दान शुद्ध मन से करें।

  • श्राद्ध मध्याह्न (अपरा काल) में करना श्रेष्ठ है।

  • पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना शुभ माना गया है।

  • जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े, छाता, जूते और दक्षिणा दान करने से पुण्य मिलता है।

  • श्राद्ध करने वाले परिवार को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।


किन बातों का रखें ध्यान


  • आज मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से परहेज करें।

  • इस दिन झगड़ा, क्रोध, अपशब्द या अपवित्र आचरण नहीं करना चाहिए।

  • श्राद्ध कर्म दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए, क्योंकि यह दिशा पितरों की मानी गई है।

  • श्राद्ध के दिन नाखून काटना, बाल कटवाना या नए कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है।

  • श्राद्ध कर्म हमेशा शास्त्रसम्मत विधि और पंडित की मार्गदर्शन में करना श्रेष्ठ होता है।