पितृ पक्ष के दौरान त्र्यंबकेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़

पितृ पक्ष का महत्व और त्र्यंबकेश्वर मंदिर
पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक समय होता है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण पूजा है ‘नारायण नागबली’, जो खासकर महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में आयोजित की जाती है।
8 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत होते ही त्र्यंबकेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। हर आयु और वर्ग के लोग अपने पितरों के उद्धार की कामना लेकर इस पवित्र स्थल की ओर बढ़ रहे हैं।
त्र्यंबकेश्वर के पुरोहित संघ के अध्यक्ष मनोज विनायक थेटे ने बताया कि पितृ पक्ष के इन पवित्र दिनों में देशभर से श्रद्धालु, विशेषकर महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से, यहां आ रहे हैं। सभी लोग अपने पितरों की आत्मा को शांति और सद्गति की प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि नारायण नागबली पूजा का पूर्ण फल त्र्यंबकेश्वर में ही मिलता है। यही कारण है कि यह पूजा किसी अन्य आश्रम, मठ या सामान्य मंदिर में नहीं की जाती। त्र्यंबकेश्वर की भूमि को इस पूजा के लिए शास्त्रों में प्रमाणित स्थान माना गया है।
इसके अलावा, त्र्यंबकेश्वर धार्मिक मान्यता और ऐतिहासिक परंपरा से भी जुड़ा हुआ है। यहां गोदावरी और अहिल्या नदियों का संगम, जिसे शटकुल कहा जाता है, विशेष महत्व रखता है।
धर्मशास्त्रों और शंकराचार्य परंपरा के अनुसार, पितरों की सद्गति और पितृदोष निवारण के लिए यह स्थान सर्वोत्तम माना गया है। इसी कारण नारायण नागबली जैसी विशेष पूजा केवल यहीं होती है। पितृ पक्ष के चलते इस समय त्र्यंबकेश्वर एक धार्मिक और आध्यात्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में जीवंत हो उठा है।