बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, श्रद्धालुओं की भारी भीड़
बदरीनाथ धाम की यात्रा का समापन
देहरादून: चारधाम यात्रा का अंतिम चरण आज संपन्न होने जा रहा है, जिसमें बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।
इस अवसर पर मंदिर को लगभग 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। कपाट बंद होने के साथ ही वर्ष 2025 की चारधाम यात्रा औपचारिक रूप से समाप्त हो जाएगी।
माता लक्ष्मी को विशेष आमंत्रण
माता लक्ष्मी को शीतकालीन प्रवास का विशेष आमंत्रण
कपाट बंद करने की प्रक्रिया से पहले, बदरीनाथ धाम की परंपरा के अनुसार, सोमवार को माता लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग का आयोजन किया गया। मुख्य पुजारी अमरनाथ नंबूदरी ने पारंपरिक विधि से माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान होने के लिए आमंत्रित किया।
यह मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद माता लक्ष्मी पूरे शीतकाल में गर्भगृह में रहती हैं और पूजा-अर्चना उनकी उपस्थिति में होती है। अगली गर्मियों में कपाट खुलने पर यह परंपरा फिर से शुरू होती है।
पंच पूजाओं का समापन
पंच पूजाओं का समापन और वेद वाचन स्थगित
21 नवंबर से शुरू हुई पंच पूजाओं की श्रृंखला सोमवार को विधिवत रूप से संपन्न हुई। इस दौरान गणेश मंदिर, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी स्थल के कपाट भी बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होते ही मंदिर परिसर में होने वाला वेद वाचन भी रोक दिया जाता है, जिसे कपाट खुलने पर फिर से शुरू किया जाएगा।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
कपाट बंद होने के इस पवित्र अवसर पर बदरीनाथ धाम में सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे। मंदिर प्रशासन के अनुसार, आज लगभग 5000 से अधिक भक्तों के आने की संभावना है। पूरे मंदिर परिसर को फूलों, मालाओं और पारंपरिक सजावट से सजाया गया है, जिससे धाम में उत्सव जैसा माहौल बन गया है। ठंड के बावजूद भक्तों में उत्साह कम नहीं हुआ है। सभी इस दिव्य क्षण के साक्षी बनने के लिए धाम में जुट रहे हैं।
शीतकालीन पूजा का स्थान
शीतकालीन पूजा जोशीमठ में होगी
कपाट बंद होने के बाद, शीतकाल में बदरीनाथ धाम की पूजा जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में की जाएगी। यहीं पर भगवान बदरी विशाल की गद्दी स्थापित की जाती है और पूरे शीतकाल के दौरान पूजा-अर्चना यहीं संपन्न होती है।
