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भाई दूज 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व

भाई दूज 2025 एक भावनात्मक पर्व है, जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। जानें इस पर्व की तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व। यह त्योहार केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि रिश्तों में विश्वास और स्नेह का उत्सव है।
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भाई दूज 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व

भाई दूज 2025: एक भावनात्मक पर्व


भाई दूज 2025: दीपावली के उत्सव के बीच आने वाला भाई दूज हर बहन के लिए एक विशेष और भावनात्मक अवसर होता है। जब दिवाली की चमक के बाद घरों में शांति लौटती है, तब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। तिलक, मिठाई और अपनापन ही भाई दूज का असली अर्थ है। यह त्योहार केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि रिश्तों की मिठास को बनाए रखने का प्रतीक है।


भाई दूज 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार,



  • द्वितीया तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर 2025, रात 8:16 बजे

  • द्वितीया तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर 2025, रात 10:46 बजे

  • तिलक का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक (2 घंटे 15 मिनट)


इस समय बहनें अपने भाई को तिलक करके उसकी लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। शुभ मुहूर्त में किया गया तिलक सौभाग्य और समृद्धि लाता है।


भाई दूज का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज और यमुना भाई-बहन थे। एक बार यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर बुलाया और तिलक करके उनका स्वागत किया। यमराज ने प्रसन्न होकर वचन दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा और यमुना स्नान करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।


त्योहार का सांस्कृतिक और भावनात्मक अर्थ

भाई दूज का त्योहार केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह रिश्तों में विश्वास और स्नेह का उत्सव है। बहनें इस दिन स्नान कर पूजा करती हैं, कथा पढ़ती हैं और भाई को तिलक करके उसकी दीर्घायु की कामना करती हैं। इसके बदले में भाई बहन को उपहार देता है और उसकी रक्षा का वचन निभाने का संकल्प लेता है। यह दिन परिवार में प्रेम, अपनापन और जिम्मेदारी की भावना को और मजबूत करता है।