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भारत में टीबी प्रबंधन में नई तकनीक का योगदान

आईसीएमआर-एनआईई द्वारा विकसित एक नई तकनीक ने भारत में टीबी प्रबंधन को एक नई दिशा दी है। यह पूर्वानुमान मॉडल मरीजों की स्थिति का आकलन कर यह बताता है कि किसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है। तमिलनाडु ने इसे अपने टीबी सेवा ऐप में शामिल कर एक मिसाल कायम की है। जानें इस तकनीक के माध्यम से गंभीर मरीजों की पहचान और इलाज में कैसे सुधार हो रहा है।
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भारत में टीबी प्रबंधन में नई तकनीक का योगदान

टीबी प्रबंधन में नई दिशा

आईसीएमआर-एनआईई द्वारा विकसित एक नवीनतम तकनीक ने भारत में क्षय रोग (टीबी) के प्रबंधन में एक नई दिशा प्रदान की है। यह पूर्वानुमान मॉडल रोगियों की स्थिति का मूल्यांकन करके यह निर्धारित करता है कि किसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है। तमिलनाडु ने इसे अपने राज्यव्यापी टीबी सेवा ऐप में शामिल कर एक नई मिसाल स्थापित की है।


गंभीर मरीजों की पहचान

तमिलनाडु की राज्य टीबी अधिकारी डॉ. आशा फ्रेडरिक के अनुसार, यह मॉडल गंभीर रूप से बीमार टीबी मरीजों की त्वरित पहचान में मदद करता है, जिससे उनकी शीघ्र भर्ती सुनिश्चित होती है। टीबी सेवा ऐप में जोड़ा गया यह नया फीचर पाँच मानकों पर आधारित है - बॉडी मास इंडेक्स, पैडल एडिमा, श्वसन दर, ऑक्सीजन संतृप्ति और बिना सहारे खड़े होने की क्षमता। इससे स्वास्थ्य कर्मियों को यह निर्णय लेने में सहायता मिलती है कि किस मरीज को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है।


पूर्वानुमान मॉडल की सटीकता

मृत्यु दर का अनुमान

एनआईई के निदेशक डॉ. मनोज मुरहेकर ने बताया कि यह नई सुविधा केवल रोग की गंभीरता का आकलन नहीं करती, बल्कि यह भी बताती है कि मरीज के जीवित रहने की संभावना कितनी है। गंभीर मरीजों की मृत्यु दर 10% से 50% तक हो सकती है, जबकि सामान्य मरीजों की केवल 1% से 4% होती है। यह मॉडल स्वास्थ्य कर्मियों को त्वरित निर्णय लेने में मदद करता है, जिससे इलाज में देरी से होने वाली मौतों को रोका जा सके।


संचालन के तरीके

डिजिटल और पेपर आधारित दोनों माध्यमों से संचालन

डॉ. फ्रेडरिक ने बताया कि तमिलनाडु की 2,800 से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं इस मॉडल का उपयोग कर रही हैं। चाहे वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हों या मेडिकल कॉलेज, सभी में टीबी सेवा ऐप और पेपर-आधारित उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। यह पहल टीएन-केईटी के तहत चल रही है, जिसका उद्देश्य टीबी मृत्यु दर को कम करना है।


अन्य राज्यों के लिए उदाहरण

अन्य राज्यों के लिए मिसाल

एनआईई के वैज्ञानिकों का मानना है कि तमिलनाडु की यह पहल उन राज्यों के लिए एक उदाहरण है जहाँ अब भी शुरुआती टीबी से मौतें एक बड़ी चुनौती हैं। तीन वर्षों के डेटा से पता चलता है कि टीएन-केईटी के कार्यान्वयन के बाद लगभग दो-तिहाई जिलों में मृत्यु दर में कमी आई है। नि-क्षय पोर्टल की तुलना में यह मॉडल कहीं अधिक त्वरित और प्रभावी साबित हो रहा है।


टीबी प्रबंधन में नई उम्मीद

यह मॉडल न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश में टीबी प्रबंधन को एक नई दिशा देने की क्षमता रखता है, और इससे यह भी उम्मीद है कि देश भर में टीबी से जुड़ी मौतों में उल्लेखनीय गिरावट आएगी।