भौम प्रदोष व्रत की कथा: मंगल दोष से मुक्ति का मार्ग

भौम प्रदोष व्रत की महिमा
Bhaum Pradosh Vrat Katha: भौम प्रदोष व्रत की यह पौराणिक कथा न केवल भक्तों की आस्था को मजबूत करती है, बल्कि उन लोगों के लिए भी आशा का संचार करती है जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव है।
यह व्रत विशेष रूप से मंगलवार को मनाया जाता है, जिसे प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और हनुमान जी की संयुक्त पूजा का विशेष महत्व है।
आइए, इस व्रत से जुड़ी प्रेरणादायक कथा और इसकी आध्यात्मिक शक्ति के बारे में जानते हैं।
भौम प्रदोष व्रत: मंगल दोष का समाधान
Bhaum Pradosh Vrat Katha: मंगल दोष को शांत करता है भौम प्रदोष व्रत
ज्योतिष के अनुसार, मंगल ग्रह को एक क्रूर और प्रभावशाली ग्रह माना जाता है। लेकिन यदि कोई भक्त सच्चे मन से भगवान शिव और हनुमान जी का व्रत करता है, तो यह ग्रह शुभ फल देने लगता है। भौम प्रदोष व्रत इसी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत ‘भौम प्रदोष’ कहलाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा से मंगल दोष, ऋण, झगड़े, भूमि विवाद और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
वृद्धा और मंगलिया की प्रेरणादायक कथा
वृद्धा और मंगलिया की पौराणिक कथा
एक नगर में एक वृद्धा अपने पुत्र मंगलिया के साथ निवास करती थी। वह हर मंगलवार को हनुमान जी का व्रत करती थी और न मिट्टी खोदती थी, न आंगन लीपती थी।
एक बार हनुमान जी ने साधु का रूप धारण कर उसकी भक्ति की परीक्षा ली। साधु बने हनुमान जी ने वृद्धा से भूमि लीपने को कहा, लेकिन उसने मना कर दिया क्योंकि वह मंगलवार को यह कार्य नहीं करती थी।
साधु ने आग्रह किया कि उसका पुत्र मंगलिया भोजन करे। वृद्धा ने दुखी होकर बताया कि उसका पुत्र मर चुका है। पर साधु के ज़ोर देने पर जैसे ही उसने ‘मंगलिया’ को पुकारा, उसका पुत्र दौड़ता हुआ जीवित आ गया।
यह देखकर वृद्धा भावुक हो गई। तभी हनुमान जी अपने स्वरूप में प्रकट हुए और उसकी भक्ति को आशीर्वाद दिया।
मंगल ग्रह को अनुकूल बनाने का उपाय
मंगल ग्रह को करता है अनुकूल
यह कथा यह संदेश देती है कि सच्ची श्रद्धा से कोई भी ग्रह अपने शुभ प्रभाव देने लगता है। शिव और हनुमान जी की कृपा से मंगल ग्रह की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। जिनकी कुंडली में मंगली दोष है, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए। विधि-विधान से किया गया भौम प्रदोष व्रत न केवल ग्रहों की दशा को सुधारता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है।
भक्ति से बदलती है तकदीर
भक्ति से बदल जाती है तकदीर
यह कहानी केवल एक व्रत की नहीं, बल्कि आस्था की शक्ति का प्रमाण है। मंगलवार को शिव और हनुमान जी की पूजा, उपवास, और श्रद्धा से मंगल ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा शांत होती है। इस व्रत को सच्चे मन और नियमों से करने पर नकारात्मक ग्रह भी जीवन में सकारात्मक ऊर्जा देने लगते हैं।
भौम प्रदोष व्रत कथा बताती है कि कैसे भगवान शिव और हनुमान जी की कृपा से मंगल ग्रह शुभ फल देने लगता है। मंगल दोष, ऋण, विवाद और रोगों से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत को विधिवत करें।
मंगल को शांत करने वाला यह व्रत आपकी ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।