मेष राशि के लिए 2026 में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव और उपाय
2026 में मेष राशि पर शनि का प्रभाव
जैसे-जैसे साल 2026 का आगाज नजदीक आ रहा है, दिसंबर का महीना अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। ज्योतिष के अनुसार, इस वर्ष कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेंगे। वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती कुंभ, मीन और मेष राशि के जातकों पर प्रभाव डाल रही है, जबकि सिंह और धनु राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। इस लेख में हम मेष राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव की चर्चा करेंगे। मेष राशि के जातकों को आने वाले वर्ष में स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना होगा, साथ ही तनाव और आर्थिक समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही घातक साबित हो सकती है। व्यापारियों को अपने व्यवसाय को सही दिशा में लाने के लिए पूरी मेहनत करनी होगी, उत्पादन बढ़ाना होगा, लेकिन गुणवत्ता से समझौता करना भारी पड़ सकता है, क्योंकि शनिदेव ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को पसंद करते हैं।
नौकरी में कार्य का दबाव
2026 में नौकरी कर रहे मेष राशि के जातकों पर कार्य का दबाव अधिक रहेगा। उन्हें अधिकारियों की डांट-फटकार का सामना करना पड़ सकता है, जिससे मानसिक अशांति हो सकती है। हालांकि, मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है, जो जातकों को आत्मविश्वास और मनोबल प्रदान करता है, जिससे वे बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। साल के मध्य में शनि की वक्र स्थिति के कारण थोड़ी राहत मिलेगी। परिवार का माहौल अनुकूल रहेगा, लेकिन भाइयों के साथ संपत्ति को लेकर विवाद हो सकता है। आर्थिक मामलों में किसी पर भरोसा न करना बेहतर होगा।
शनि की साढ़ेसाती से राहत पाने के उपाय
शनि की कृपा प्राप्त करने और साढ़ेसाती के कष्टों से राहत पाने के लिए कुछ सरल उपाय बेहद प्रभावी माने जाते हैं। प्रत्येक शनिवार आलस्य को त्यागकर पीपल के पेड़ के नीचे और शनि मंदिर में शनिदेव के समक्ष तेल का दीपक जलाना चाहिए। जरूरतमंदों की सहायता और दान-पुण्य करने से जीवन में पुण्यबल बढ़ता है, जो कठिन समय में सहारा बनता है। यदि कुंडली में शनि लग्नेश, पंचमेश, भाग्येश या योगकारक ग्रह हो, तो शनिवार को आठ रत्ती का नीलम या नीली जमुनिया रत्न दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करना लाभकारी होता है। घर के मुख्य द्वार पर नाव की कील या काले घोड़े की नाल लगाने से भी शनि के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। साढ़ेसाती के समय हनुमान जी की भक्ति विशेष फल देती है, क्योंकि मान्यता है कि शनिदेव ने हनुमान जी को यह वरदान दिया था कि उनके भक्तों को कष्ट नहीं देंगे।
