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यमुना जल का घर में न रखने का रहस्य: धार्मिक और आध्यात्मिक कारण

यमुना जल को घर में न रखने की परंपरा के पीछे गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक कारण छिपे हुए हैं। यह जल यमराज से जुड़ा हुआ है, जिससे इसे घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है। जानें यमुना देवी का महत्व, श्रीकृष्ण के साथ उनका संबंध और वास्तु शास्त्र में यमुना जल के निषेध के कारण। इस लेख में हम इस परंपरा के पीछे के रहस्यों का अनावरण करेंगे।
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यमुना जल का घर में न रखने का रहस्य: धार्मिक और आध्यात्मिक कारण

यमुना जल: क्यों है इसे घर में रखना वर्जित?

यमुना जल का महत्व: हमारे धार्मिक ग्रंथों में गंगा और यमुना को मां का दर्जा दिया गया है। गंगाजल को घर में रखने और पूजा में उपयोग करने की सलाह दी जाती है, जबकि यमुना जल को घर में नहीं रखने की परंपरा है। यह सुनकर अजीब लग सकता है कि एक पवित्र नदी का जल घर में क्यों वर्जित माना गया है?


इसका कारण केवल परंपरा नहीं, बल्कि गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं। यमुना जी का सीधा संबंध यमराज, यानी मृत्यु के देवता से है। यही कारण है कि शास्त्रों में इसे घर की शुद्धता के लिए उचित नहीं माना गया है। आइए जानते हैं इस परंपरा के पीछे के रहस्य।


यमुना देवी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, यमुना देवी सूर्य देव की पुत्री और यमराज की बहन हैं। उन्हें कालिंदी भी कहा जाता है। भाई दूज पर यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर जाते हैं और उन्हें यह वरदान देते हैं कि जो भाई-बहन इस दिन यमुना जल से स्नान करेंगे, उनके भाई की अकाल मृत्यु नहीं होगी। इससे यह स्पष्ट होता है कि यमुना का संबंध जीवन और मृत्यु से जुड़ा है।


यमराज से संबंध: यमुना जल का मृत्यु का प्रतीक

यमुनाजी का यमराज से संबंध होने के कारण इसे घर में रखने से मना किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यमुना जल से घर में नकारात्मक ऊर्जा और मृत्यु की छाया आ सकती है। इसलिए इसका उपयोग केवल पूजा, व्रत, या तीर्थ स्नान तक सीमित रहता है, जबकि गंगाजल को जीवनदायिनी और शुभ माना जाता है।


गरुड़ पुराण और पौराणिक संकेत

गरुड़ पुराण और पद्म पुराण में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यमुना जल का स्थायी संग्रह घर में नहीं करना चाहिए। यह जल प्रायश्चित, तीर्थ और विशेष धार्मिक कार्यों में ही उपयोग योग्य है। ऐसा करने से घर में रोग, कलह या असमय मृत्यु जैसे संकट उत्पन्न हो सकते हैं।


श्रीकृष्ण और यमुना जी का दिव्य संबंध

कथा है कि जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और वासुदेव उन्हें मथुरा से गोकुल ले जा रहे थे, तो यमुना ने उन्हें रास्ता दिया। बालकृष्ण के चरण स्पर्श से यमुना और भी पवित्र हो गईं। श्रीकृष्ण की लीलाओं का केंद्र भी यमुना तट रहा। फिर भी, यह दिव्यता यमुना जल को घर में रखने योग्य नहीं बनाती, क्योंकि इनका संबंध यमलोक से है।


वास्तु शास्त्र: यमुना जल का निषेध

वास्तु शास्त्र में यमुना जल को कालेपन, अस्थिरता और मानसिक अशांति का प्रतीक माना गया है। इससे घर में दरिद्रता, कलह और तनाव बढ़ सकता है। इसके विपरीत, गंगाजल को शुद्धता, सुख-शांति और समृद्धि देने वाला बताया गया है, जिसे घर में रखने से पुण्य की प्राप्ति होती है।