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राम मंदिर का उद्घाटन: 22 जनवरी 2024 को होगा ऐतिहासिक क्षण

राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होंगे। इस भव्य मंदिर की यात्रा 6 दिसंबर 1992 से शुरू हुई थी, जब बाबरी मस्जिद का ढांचा ध्वस्त किया गया था। जानें इस ऐतिहासिक घटना के पीछे की कहानी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की भूमिका, जिसने राम मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे यह मंदिर आज अपनी शान के साथ खड़ा है।
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राम मंदिर का उद्घाटन: 22 जनवरी 2024 को होगा ऐतिहासिक क्षण

राम मंदिर का भव्य उद्घाटन


22 जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होंगे। हाल ही में, 25 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण किया। इस भव्य मंदिर की सुंदरता ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। हालांकि, आज जो भव्य राम मंदिर आप देख रहे हैं, उसके पीछे केवल कारीगरों की मेहनत नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों का बलिदान भी है। राम मंदिर के निर्माण की यात्रा 6 दिसंबर 1992 से शुरू हुई थी।


बाबरी मस्जिद का ढांचा कैसे ध्वस्त हुआ

जिस तरह आज लोग अपने राम के प्रति समर्पित हैं, ठीक उसी प्रकार 1992 में भी राम मंदिर का सपना लोगों में जोश भरता था। 6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में लोग बाबरी मस्जिद के पास इकट्ठा हुए। पहले नारेबाजी और प्रदर्शन हुआ, फिर धीरे-धीरे भीड़ ने विकराल रूप ले लिया। कई लोगों ने एक साथ मस्जिद के ढांचे पर चढ़ाई की और एक-एक कर तीनों गुम्बदों को गिरा दिया, जिसके बाद मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराया गया। इस घटना के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा फैल गई, जिसमें लगभग 400 लोगों की जान गई। अयोध्या से शुरू हुई यह आग दिल्ली, मुंबई, कोलकाता सहित कई शहरों में फैल गई।


ASI की महत्वपूर्ण भूमिका

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने राम मंदिर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2003 में दी गई अपनी रिपोर्ट में ASI ने ध्वस्त हुई मस्जिद के नीचे 'हिंदू संरचना के अवशेषों' का उल्लेख किया। ASI के पूर्व अधिकारियों, जैसे के.के. मुहम्मद, ने खुदाई में मिली चीज़ों (जैसे टेराकोटा मूर्तियां, मंदिर के खंभे) के आधार पर मंदिर के अस्तित्व का समर्थन किया। उनके साक्ष्यों ने यह साबित किया कि बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष थे, जिससे इस ऐतिहासिक स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। ASI की रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे निर्माण का रास्ता साफ हुआ। आज अयोध्या का राम मंदिर अपनी शान के साथ खड़ा है।