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वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भोग व्यवस्था में आई बाधा: श्रद्धालुओं में आक्रोश

वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में भोग व्यवस्था में अचानक आई बाधा ने श्रद्धालुओं को चौंका दिया है। पहली बार ठाकुर जी को बिना भोग के दर्शन दिए गए, जिससे भक्तों में आक्रोश और दुख की भावना देखी गई। इस घटना के पीछे हलवाई को वेतन न मिलने का कारण बताया गया है। गोस्वामियों ने इसे लापरवाही का मामला मानते हुए प्रशासन की जिम्मेदारी तय करने की मांग की है। क्या यह घटना मंदिर प्रशासन के लिए चेतावनी है? जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
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वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भोग व्यवस्था में आई बाधा: श्रद्धालुओं में आक्रोश

मंदिर में भोग की परंपरा का टूटना


स्थानीय समाचार: वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर में बुधवार की रात एक गंभीर मुद्दा सामने आया। वीबी-जी राम जी नामकरण के बजाय, मंदिर की व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण समस्या उत्पन्न हुई। पहली बार ठाकुर जी को बाल भोग और शयन भोग नहीं अर्पित किया गया। इसका कारण यह था कि हलवाई को लंबे समय से वेतन नहीं मिला था। लाखों भक्तों के बीच ठाकुर जी बिना भोग के दर्शन में उपस्थित रहे, जिससे श्रद्धालुओं में हैरानी और दुख की भावना देखी गई।


भोग व्यवस्था में अचानक आई रुकावट

श्री ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में प्रतिदिन ठाकुर जी के लिए बाल भोग और शयन भोग अर्पित किया जाता है। यह कार्य एक निर्धारित हलवाई द्वारा किया जाता है, जिसे हर महीने अस्सी हजार रुपये का वेतन मिलता है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से हलवाई को भुगतान नहीं किया गया, जिसके कारण उसने भोग तैयार करने से मना कर दिया। नतीजतन, न तो सुबह का भोग बना और न ही रात का। सेवादारों के पास ठाकुर जी को अर्पित करने के लिए भोग नहीं था।


गोस्वामियों की नाराजगी

इस घटना से मंदिर के गोस्वामियों में भारी नाराजगी है। गोस्वामी समाज का कहना है कि ठाकुर जी की सेवा में इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है। उनका आरोप है कि मंदिर की जिम्मेदारी संभालने वाली व्यवस्था समय पर भुगतान सुनिश्चित नहीं कर पाई। गोस्वामियों ने स्पष्ट किया कि यह केवल प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ा मामला है। वर्षों से चली आ रही परंपरा का इस तरह टूटना अत्यंत दुखद है।


हाई पावर कमेटी की भूमिका पर सवाल

श्री बांके बिहारी मंदिर की व्यवस्थाएं सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी के अधीन हैं। घटना के बाद कमेटी की भूमिका पर सवाल उठने लगे। कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने स्वीकार किया कि भुगतान में देरी हुई है। उन्होंने बताया कि जैसे ही जानकारी मिली, मयंक गुप्ता को भुगतान करने के आदेश दे दिए गए हैं। इसके साथ ही भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए सख्त निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं।


भोग की परंपरा

मंदिर की परंपरा के अनुसार, ठाकुर जी को दिन में चार बार भोग अर्पित किया जाता है। सुबह बाल भोग, दोपहर में राजभोग, शाम को उत्थापन भोग और रात में शयन भोग। यह व्यवस्था वर्षों से निरंतर चलती आ रही है। लेकिन इस बार सेवायतों को भोग नहीं मिला। यह पहली बार है जब ठाकुर जी बिना बाल और शयन भोग के दर्शन में विराजमान रहे, जिससे यह घटना ऐतिहासिक और चिंताजनक मानी जा रही है।


श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया

देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं में इस घटना को लेकर गहरा दुख देखा गया। कई भक्तों ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी ठाकुर जी को बिना भोग के दर्शन देते नहीं देखा। श्रद्धालुओं का मानना है कि मंदिर की व्यवस्थाओं में पारदर्शिता और समयबद्धता बेहद जरूरी है। आस्था से जुड़ी किसी भी व्यवस्था में लापरवाही नहीं होनी चाहिए। भक्तों ने मांग की है कि जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जाए।


क्या यह मंदिर व्यवस्था के लिए चेतावनी है?

यह घटना मंदिर प्रशासन और हाई पावर कमेटी दोनों के लिए चेतावनी मानी जा रही है। सवाल यह उठता है कि यदि समय पर भुगतान हो जाता, तो क्या परंपरा टूटती। अब सभी की निगाहें इस पर हैं कि आगे व्यवस्था को कैसे सुधारा जाता है। क्योंकि वृंदावन में ठाकुर जी की सेवा केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का केंद्र है।