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शनिवार को मां काली की पूजा के महत्व और उपाय

इस लेख में हम मां काली की पूजा के महत्व और उनके दिव्य मंत्रों के बारे में चर्चा करेंगे। शनिवार का दिन मां काली को समर्पित होता है, और इस दिन उनकी आराधना करने से जीवन में सकारात्मकता आती है। जानें मां काली को प्रसन्न करने के उपाय और उनकी आरती के बोल। यदि आप मां काली की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस लेख में दिए गए मंत्रों और उपायों का पालन करें।
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मां काली की पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में शनिवार का दिन मां काली को समर्पित माना जाता है। इस दिन मां काली की पूजा का विशेष महत्व है। यह विश्वास किया जाता है कि मां काली की आराधना से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति सच्चे मन से मां काली की पूजा करते हैं, उनके जीवन में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता। इसके साथ ही, गुप्त शत्रुओं का भी नाश होता है। यदि आप भी मां काली की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी है।


मां काली को प्रसन्न करने के उपाय

इस लेख में हम आपको मां काली को प्रसन्न करने के कुछ उपाय बताएंगे। यदि आप मां काली की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनिवार को विशेष पूजा करें और पूजा के दौरान मां काली के मंत्रों का जाप करें।


मां काली के दिव्य मंत्र

ॐ कालरात्र्यै नम:।


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।


एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।


वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥


जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।


जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥


ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।


एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।


या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।


नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।


लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥


वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।


वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥


क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।


ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।


त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।


ओम देवी कालरात्र्यै नमः।


'ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ।'


मां काली की आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,


तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।


तेरे भक्त जनो पार माता भये पड़ी है भारी,


दानव दल पार तोतो माड़ा करके सिंह सांवरी।


सोउ सौ सिंघों से बालशाली, है अष्ट भुजाओ वली,


दुशटन को तू ही ललकारती।


हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।


माँ बेटी का है इस जग जग बाड़ा हाय निर्मल नाता,


पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता।


सब पे करुणा दर्शन वालि, अमृत बरसाने वाली,


दुखीं के दुक्खदे निवर्तती।


हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।


नहि मँगते धन धन दौलत ना चण्डी न सोना,


हम तो मांगे तेरे तेरे मन में एक छोटा सा कोना।


सब की बिगड़ी बान वाली, लाज बचाने वाली,


सतियो के सत को संवरती।


हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।


चरन शरण में खडे तुमहारी ले पूजा की थाली,


वरद हस् स सर प रख दो म सकत हरन वली।


माँ भार दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वली,


भक्तो के करेज तू ही सरती।


हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।


अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।


तेरे ही गुन गाए भारती, हे मैया, हम सब उतारे तेरी आरती।