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शादी में गृहप्रवेश की रस्म: दुल्हन के कदमों से आती है समृद्धि

शादी के मौसम में गृहप्रवेश की रस्म का विशेष महत्व होता है। यह रस्म दुल्हन के नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें वह चावल का कलश गिराकर समृद्धि और सौभाग्य का आगमन करती है। जानें इस रस्म के पीछे छिपे धार्मिक और सांस्कृतिक अर्थों के बारे में।
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शादी में गृहप्रवेश की रस्म: दुल्हन के कदमों से आती है समृद्धि

शादी का मौसम: उत्सव का माहौल


नई दिल्ली: वर्तमान में देशभर में विवाह का उत्सव अपने चरम पर है। गलियों में बैंड और बाजा, घरों में सजावट और बारातों की धूमधाम चारों ओर एक जश्न का माहौल बना रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, नवंबर से फरवरी तक शुभ विवाह मुहूर्तों का विशेष समय होता है, जिससे परंपराओं और रस्मों का महत्व और भी बढ़ जाता है।


गृहप्रवेश की रस्म का महत्व

हिंदू धर्म में विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों और उनकी परंपराओं का संगम होता है। हर रस्म और रीति के पीछे गहरे अर्थ होते हैं। गृहप्रवेश की रस्म एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें दुल्हन अपने पैरों से चावल का कलश गिराकर नए जीवन की शुरुआत करती है।


चावल के कलश का प्रतीकात्मक महत्व

परंपरा के अनुसार, जब दुल्हन पहली बार ससुराल में कदम रखती है, तो यह केवल घर में प्रवेश नहीं, बल्कि नए दायित्वों और रिश्तों की शुरुआत का प्रतीक होता है। इस दौरान दुल्हन चावल से भरे कलश को अपने दाहिने पैर से आगे बढ़ाती है, जिसे शुभ माना जाता है।


सौभाग्य और समृद्धि का आगमन

यह माना जाता है कि जब दुल्हन चावल से भरा कलश गिराती है, तो यह संकेत है कि वह अपने साथ अन्न, धन और सौभाग्य लेकर आ रही है। इसे माता लक्ष्मी के आगमन से जोड़ा जाता है। नई बहू को गृहलक्ष्मी का रूप माना जाता है, और उसके कदमों को घर की समृद्धि से जोड़ा जाता है।


दुल्हन का महत्व और रस्म का सांस्कृतिक पहलू

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कलश और चावल समृद्धि और धन के प्रतीक हैं। दुल्हन द्वारा इन्हें पैर से आगे बढ़ाना इस बात का संकेत है कि उसके आने से घर में कभी अन्न और सौभाग्य की कमी नहीं होगी। यह रस्म केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि दुल्हन के सम्मान और शुभता का पवित्र प्रतीक है।


धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

आम दिनों में अन्न को पैर से छूना अशुभ माना जाता है, लेकिन गृहप्रवेश की यह रस्म शुभ फलदायी मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, स्त्री को देवी का स्वरूप माना गया है, और इसलिए उसके कदमों को सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का वाहक माना जाता है। जब दुल्हन दाहिने पैर से चावल भरे कलश को हल्के से ठोकर मारती है, तो यह घर में सौभाग्य और समृद्धि के स्थायी प्रवेश का प्रतीक होता है।