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सितंबर में शुक्र प्रदोष व्रत: तिथि, पूजा समय और महत्व

भगवान शिव के भक्तों के लिए सितंबर 2025 में शुक्र प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत 19 सितंबर को मनाया जाएगा, जो शुक्रवार है। जानें इस व्रत की तिथि, पूजा का समय और इसके पीछे का महत्व। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है।
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सितंबर में शुक्र प्रदोष व्रत: तिथि, पूजा समय और महत्व

सितंबर में शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व

Shukra Pradosh Vrat in September: नई दिल्ली: भगवान शिव के अनुयायियों के लिए प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व है। यह व्रत हर महीने दो बार त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसे भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। सितंबर 2025 में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 19 सितंबर को आएगा। यह दिन शुक्रवार है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। आइए, इस व्रत की तिथि, पूजा का समय और इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।


सितंबर 2025 में प्रदोष व्रत की तिथि Shukra Pradosh Vrat


हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 सितंबर को रात 11:24 बजे प्रारंभ होगी और 19 सितंबर को रात 11:36 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 19 सितंबर को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।


शुक्र प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त September


19 सितंबर को शुक्र प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 6:21 बजे से रात 8:43 बजे तक रहेगा। इस प्रकार, पूजा का सबसे शुभ समय 2 घंटे 21 मिनट का होगा। आयुर्वेद के अनुसार, प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद शुरू होता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल एक साथ होते हैं, तो वह समय भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। इसलिए इस समय पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।


शुक्र प्रदोष व्रत का खास महत्व


शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुक्र प्रदोष व्रत कहलाता है। यह व्रत सौंदर्य, सुख-समृद्धि, वैवाहिक जीवन में खुशहाली और धन-दौलत को बढ़ाने वाला माना जाता है। पुराणों में भगवान शिव को सभी ग्रहों का स्वामी बताया गया है। इसलिए, इस व्रत को करने से शुक्र ग्रह से जुड़ी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है।