Trump के नए H-1B वीजा नियमों से भारतीय IT सेक्टर में हलचल

H-1B वीजा पर ट्रंप का बड़ा फैसला
Trump H1b visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया निर्णय ने भारतीय आईटी उद्योग में हलचल मचा दी है। ट्रंप प्रशासन ने H-1B वर्क वीजा की फीस को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है। इसका सबसे अधिक प्रभाव टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) जैसी कंपनियों पर पड़ेगा, जो अमेरिका में अपने ग्राहकों के कार्यालयों में हजारों भारतीय इंजीनियरों को तैनात करती हैं।
टीसीएस को सबसे बड़ा झटका
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) H-1B वीजा का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। यह कंपनी अमेरिका में ग्राहकों की परियोजनाओं पर काम करने के लिए सबसे अधिक पेशेवर इंजीनियर भेजती है। हाल के वर्षों में, टीसीएस और अन्य कंपनियों ने वीजा पर निर्भरता कम करने की कोशिश की है, लेकिन ट्रंप प्रशासन के नए नियमों से इन कंपनियों की परिचालन लागत में वृद्धि होगी, जिससे उनके मुनाफे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
जेफरीज का विश्लेषण
निवेश फर्म जेफरीज के विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम से आईटी कंपनियों की आय में 4 से 13 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। इसका मुख्य कारण वर्क वीजा पर प्रति कर्मचारी बढ़ी हुई लागत और परिचालन खर्च है। इसके अलावा, एच-1बी वीजा से दूरी बनाने पर कंपनियों को प्रतिभाशाली पेशेवरों की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उन्हें कर्मचारियों का वेतन बढ़ाना पड़ेगा।
क्रिसिल का अनुमान
क्रिसिल इंटेलिजेंस का मानना है कि वीजा फीस में वृद्धि की लागत अंततः ग्राहकों पर डाली जाएगी। इससे कंपनियों के मुनाफे पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन मार्जिन में 10-20 आधार अंकों की कमी आ सकती है। हालांकि, यह सेक्टर पहले से ही अमेरिकी कंपनियों के घटते बजट और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के कारण दबाव में था।
शेयर बाजार में आईटी सेक्टर धड़ाम
ट्रंप सरकार के इस निर्णय का असर आईटी कंपनियों के शेयरों पर तुरंत देखा गया। एनएसई निफ्टी आईटी इंडेक्स 7.3% तक गिर गया। विश्लेषकों का कहना है कि यह सेक्टर पहले से ही अमेरिकी कंपनियों के कड़े तकनीकी बजट और विवेकाधीन खर्चों में कमी के कारण परेशान था। अब वीजा फीस में वृद्धि ने इसे और कठिनाइयों में डाल दिया है।