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अम्बाला के वॉर हीरोज स्टेडियम में जिम्नास्टिक्स का भविष्य

अम्बाला का वॉर हीरोज मेमोरियल स्टेडियम हरियाणा का प्रमुख जिम्नास्टिक हॉल बन चुका है, जहां युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में, इस हॉल ने राष्ट्रीय स्तर पर 18 पदक जीते हैं। हालांकि, खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं की कमी और कोचों की संख्या की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जानें इस हॉल की विशेषताएँ और भविष्य की चुनौतियाँ।
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अम्बाला के वॉर हीरोज स्टेडियम में जिम्नास्टिक्स का भविष्य

अम्बाला का जिम्नास्टिक हॉल: भविष्य के चैंपियंस का निर्माण

अम्बाला का वॉर हीरोज मेमोरियल स्टेडियम अब हरियाणा का प्रमुख जिम्नास्टिक हॉल बन चुका है। यह स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप और साउंडप्रूफ है, जिसका लाभ खिलाड़ियों को मिल रहा है। पिछले पांच वर्षों में, अम्बाला ने राष्ट्रीय स्तर पर 18 पदक जीते हैं। वर्तमान में, लगभग 150 खिलाड़ी प्रतिदिन यहां अभ्यास करने आते हैं, जिन्हें खेल विभाग के तीन प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां छोटे बच्चों को भी जिम्नास्टिक्स की ट्रेनिंग दी जा रही है।


जिम्नास्टिक हॉल की विशेषताएँ

• यह जिम्नास्टिक हॉल 2019 में स्थापित हुआ।


• निर्माण में 7 करोड़ रुपये की लागत आई।


• हॉल में साउंड प्रूफिंग, लाइटिंग, दर्शकों के लिए कुर्सियाँ और एक बड़ी एलईडी स्क्रीन शामिल हैं।


• जिम्नास्टिक उपकरणों पर 1.18 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।


प्रतिभाशाली खिलाड़ी

अंजु दुआ: अम्बाला की अंजु दुआ ने राष्ट्रीय स्तर पर 10 स्वर्ण, 23 रजत और 11 कांस्य पदक जीते हैं। वह अर्जुन अवॉर्ड पाने वाली प्रदेश की पहली खिलाड़ी हैं।


योगेश्वर सिंह: राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कई बार स्वर्ण पदक जीतने वाले योगेश्वर सिंह को भी अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।


चुनौतियाँ

हालांकि, खिलाड़ियों के लिए कुछ चिंताजनक बातें हैं। प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताओं की कमी के कारण खिलाड़ी अपनी वास्तविक क्षमता का पता नहीं लगा पाते हैं। इसके चलते वे बड़े मुकाबलों में पिछड़ जाते हैं। इसके अलावा, कोचों की संख्या भी कम है, जिससे 150 खिलाड़ियों के लिए केवल तीन कोच पर्याप्त नहीं हैं। खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलना चाहिए। सरकार और खेल विभाग को इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।