आरआरटीएस: भारत में आर्थिक विकास का नया माध्यम
आरआरटीएस का बढ़ता महत्व
भारत में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) तेजी से निवेश को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण साधन बनता जा रहा है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत मौजूदा आरआरटीएस उपयोगकर्ताओं का मानना है कि बेहतर कनेक्टिविटी ने उनके क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ाया है।
निवेश में वृद्धि
नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जहां नई और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहां लोगों का विश्वास काफी बढ़ जाता है। ऐसे क्षेत्रों में आर्थिक विकास के प्रति लोगों का विश्वास 2.25 गुना से अधिक बढ़ गया है। इसका सीधा प्रभाव रियल एस्टेट पर भी पड़ा है, क्योंकि 66 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं ने आरआरटीएस कॉरिडोर के आसपास संपत्ति में निवेश करने की इच्छा व्यक्त की है।
व्यावसायिक गतिविधियों का प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जहां व्यावसायिक गतिविधियां जैसे दुकानें, ऑफिस और मॉल तेजी से विकसित हो रहे हैं, वहां निवेश की इच्छा कई गुना बढ़ जाती है। इससे निवेशकों का भरोसा मजबूत होता है।
सामाजिक सुविधाओं की आवश्यकता
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि 38 प्रतिशत लोग बड़े शहरों के मुख्य इलाकों से बाहर रहने के लिए तैयार हैं, बशर्ते वहां स्कूल, अस्पताल, बाजार और अन्य सामाजिक सुविधाएं उपलब्ध हों। यह दर्शाता है कि आरआरटीएस कॉरिडोर के आसपास समग्र विकास आवश्यक है।
आरआरटीएस की महत्वता
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर शिशिर बैजल ने कहा कि आरआरटीएस भारत के शहरी और क्षेत्रीय परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। लोग ऐसे आधुनिक परिवहन प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हैं, जो तेज, सुरक्षित और भरोसेमंद हो।
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर
आरआरटीएस की एक प्रमुख परियोजना दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर है, जिसे एनसीआर ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एनसीआरटीसी) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसकी लागत 30,000 करोड़ रुपए से अधिक है। यह कॉरिडोर कुल 82 किलोमीटर लंबा होगा और इसके पूरा होने पर दिल्ली से मेरठ का सफर एक घंटे से भी कम समय में तय किया जा सकेगा। इसका एक हिस्सा पहले से ही चालू हो चुका है और सरकार इस परियोजना के लिए लगातार फंडिंग कर रही है।
