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इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में कमी: जानें इसके कारण

इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में कमी के पीछे कई कारण हैं, जिनमें महंगे स्पेयर पार्ट्स और नीतियों की कमी शामिल हैं। हाल के आंकड़े बताते हैं कि पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री अभी भी अधिक है। जानें इस विषय पर विस्तृत जानकारी और आंकड़ों का विश्लेषण।
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इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में कमी: जानें इसके कारण

इलेक्ट्रिक और पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना

इलेक्ट्रिक वाहनों की स्थिति: इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में धीमी क्यों है? इस लेख में हम EV मार्केट में गिरावट के दो मुख्य कारणों और हाल के आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे।


वाहनों से निकलने वाला धुआं लगातार बढ़ते प्रदूषण का कारण बन रहा है, इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों को एक स्वच्छ विकल्प के रूप में पेश किया गया था। हालाँकि, हाल के आंकड़े दर्शाते हैं कि EV मार्केट अभी भी पारंपरिक पेट्रोल और डीजल वाहनों की गति को नहीं पकड़ पा रहा है।


सरकारी सब्सिडी जैसी सहायता के बावजूद, पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री सबसे अधिक हो रही है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग केवल कुछ श्रेणियों जैसे थ्री-व्हीलर, गुड्स व्हीकल, ई-बस और ई-रिक्शा में थोड़ी बढ़ी है।


EV और पेट्रोल-डीजल के आंकड़ों में अंतर

आंकड़ों का विश्लेषण


थिंक-टैंक EnviroCatalysts द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से सितंबर 2024 के बीच 2.7 लाख पेट्रोल दोपहिया और 26,613 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ।
2025 में इसी अवधि में यह संख्या बढ़कर 3.2 लाख पेट्रोल दोपहिया और 27,028 इलेक्ट्रिक दोपहिया तक पहुंच गई।


चार्ट स्पष्ट रूप से दिखाता है कि दोनों की बिक्री में वृद्धि हुई है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की गति काफी धीमी है।


ई-बसों की संख्या 2024 में 779 से बढ़कर इस वर्ष 1093 हो गई, जबकि डीजल बसों की संख्या 686 से बढ़कर 730 तक पहुंच गई।


थ्री-व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन 8379 से बढ़कर 11,331 हुआ, लेकिन इस साल सितंबर तक एक भी इलेक्ट्रिक ऑटो रजिस्टर नहीं हुआ, जबकि पिछले साल 1198 रजिस्टर हुए थे।


फोर-व्हीलर सेगमेंट में स्थिति

फोर-व्हीलर में पेट्रोल का दबदबा


फोर-व्हीलर श्रेणी अब भी पेट्रोल वाहनों के नियंत्रण में है।
इलेक्ट्रिक निजी फोर-व्हीलर्स की संख्या 3848 से बढ़कर 9905 हो गई है, लेकिन उनका मार्केट शेयर अभी भी बहुत कम है।


इस साल केवल 466 इलेक्ट्रिक पैसेंजर फोर-व्हीलर रजिस्टर हुए, जबकि 2024 में यह संख्या 1748 थी।


EV की बिक्री में कमी के कारण

महंगे स्पेयर पार्ट्स


महंगे स्पेयर पार्ट्स की समस्या


दिल्ली ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष अंकित शर्मा के अनुसार, ई-ऑटो रजिस्ट्रेशन में कमी का मुख्य कारण कंट्रोलर और बैटरी जैसे पार्ट्स की उच्च कीमत है।
ये पार्ट्स केवल कंपनियों के पास उपलब्ध होते हैं और इनकी कीमत 1 लाख रुपये से अधिक होती है, जो कई ऑटो चालकों के लिए भारी पड़ती है। इसके विपरीत, CNG का रखरखाव सस्ता है, जिससे लोग EV से दूर हो रहे हैं।


नीतियों और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी


नीतियों और EV इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी


EnviroCatalysts के प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया का कहना है कि कुल वाहनों में EV का योगदान अभी भी बहुत कम है।
उनका मानना है कि EV की बिक्री बढ़ाने के लिए नीतियों को मजबूत करना और चार्जिंग तथा सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना आवश्यक है।