केंद्र सरकार का नया प्रस्ताव: सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स को मिलेगी पर्यावरणीय मंजूरी में छूट

पर्यावरण मंत्रालय का नया मसौदा
केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में एक नया मसौदा अधिसूचना जारी किया है। इस अधिसूचना के अनुसार, उन स्टैंडअलोन सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स को पर्यावरणीय मंजूरी (EC) से छूट देने का प्रस्ताव है, जिनमें कैप्टिव पावर प्लांट नहीं हैं। यह अधिसूचना 26 सितंबर को जारी की गई थी.
अडाणी समूह को मिलेगी राहत
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो अडाणी समूह को कल्याण क्षेत्र में 1,400 करोड़ रुपये की लागत वाली सीमेंट ग्राइंडिंग परियोजना में महत्वपूर्ण राहत मिलेगी। यह संयंत्र अंबुजा सीमेंट लिमिटेड के नाम से पंजीकृत है और इसकी वार्षिक क्षमता 6 मिलियन टन है.
स्थानीय निवासियों का विरोध
मोहने गांव और आसपास के दस गांवों के निवासी इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे वायु प्रदूषण, धूल और गैस उत्सर्जन में वृद्धि होगी, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) की हालिया जनसुनवाई में नागरिकों ने भी इस पर आपत्ति जताई थी.
मंत्रालय का तर्क
मंत्रालय का कहना है कि स्टैंडअलोन यूनिट्स में उच्च तापीय प्रक्रियाएं जैसे कैल्सिनेशन और क्लिंकराइजेशन नहीं होतीं, जिससे प्रदूषण कम होता है। इसके अलावा, यदि कच्चे माल और उत्पादों का परिवहन रेलवे या इलेक्ट्रिक वाहनों से किया जाए, तो प्रदूषण और भी कम होगा। विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.
स्थानीय संगठनों की चिंताएं
स्थानीय संगठन और पर्यावरण विशेषज्ञ इस कदम को लेकर चिंतित हैं। मोहने कोलिवाड़ा ग्रामस्थ मंडल के अध्यक्ष सुभाष पाटिल ने कहा कि वे इस अधिसूचना का गहन अध्ययन करेंगे और सामूहिक रूप से आगे की रणनीति तय करेंगे.
जनता की भागीदारी
जनता इस मसौदे पर 60 दिनों के भीतर अपनी आपत्तियां या सुझाव दर्ज करा सकती है। प्रस्तावित प्लांट पुरानी नेशनल रेयान कंपनी (NRC) की भूमि पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा, जिसमें 9.67 हेक्टेयर हरित पट्टी के लिए आरक्षित है.
पर्यावरणीय मंजूरी में संभावित राहत
यदि यह अधिसूचना लागू होती है, तो देशभर में कई औद्योगिक परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी से राहत मिल सकती है, जिससे निवेश में आसानी होगी, लेकिन यह पर्यावरण सुरक्षा और स्थानीय समुदायों के हितों पर सवाल खड़ा कर सकता है.