गर्मी में पशुओं की देखभाल: जून के लिए विशेष गाइड

गर्मी में पशुओं की देखभाल: जून का कैलेंडर
जून की तपती गर्मी ने न केवल इंसानों को बल्कि जानवरों को भी परेशान कर रखा है। तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है, जिससे पशुपालकों के लिए अपने मवेशियों की सेहत का ध्यान रखना एक चुनौती बन गया है। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है! पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने जून के लिए एक विशेष कैलेंडर जारी किया है, जो पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होगा। आइए जानते हैं कि इस कैलेंडर में क्या महत्वपूर्ण जानकारी है और कैसे आप अपने पशुओं को गर्मी से सुरक्षित रख सकते हैं।
जून का कैलेंडर: क्यों है यह आवश्यक?
जून का महीना जानवरों के लिए काफी कठिन होता है। गर्मी के कारण दूध उत्पादन में कमी आ सकती है और पशु बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। विभाग हर महीने मौसम के अनुसार दिशा-निर्देश जारी करता है, और इस बार का कैलेंडर पशुपालकों को सही समय पर उचित कदम उठाने में मदद करेगा। चाहे चारे की बात हो, टीकाकरण या पशुओं के रहने की व्यवस्था, इस कैलेंडर में सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
गर्मी में पशुओं का ध्यान कैसे रखें?
1. ठंडी और छायादार जगह का इंतजाम: गर्मी में पशुओं को लू से बचाना अत्यंत आवश्यक है। उनके शेड को टाट, घास या छप्पर से ढकें ताकि धूप सीधे न पड़े। दिन में 2-3 बार साफ और ठंडा पानी पिलाएं। शेड के आसपास की जगह को गीला रखें, इससे तापमान नियंत्रित रहेगा। यदि पशु बेचैन दिखें, तो उनके शरीर पर ठंडा पानी छिड़कें। यह उपाय उनकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
2. टीकाकरण और दवाओं का समय: गर्मियों में पशुओं को एचएस और बीक्यू जैसे रोगों का खतरा होता है। इसलिए, समय पर टीकाकरण करवाना न भूलें। टीकाकरण से 10-15 दिन पहले डिवॉर्मिंग आवश्यक है। बाहरी परजीवियों से बचाव के लिए नियमित दवाएं दें। स्थानीय पशु चिकित्सक से सही दवाओं की सलाह लें।
3. पोषण: ताकत का आधार: पशुओं की सेहत का राज उनके खान-पान में है। हर पशु को रोजाना 50-60 ग्राम खनिज मिश्रण और 20 ग्राम नमक देना आवश्यक है। दूध देने वाली गाय या भैंस को 70-100 मिलीलीटर तरल कैल्शियम पिलाएं। गर्मी में उनकी भूख कम हो सकती है, इसलिए खाने में गुड़ या नमक मिलाकर उनकी रुचि बढ़ाएं।
4. चारे का सही प्रबंधन: जून में हरा चारा मिलना मुश्किल हो सकता है। अप्रैल में बोई गई ज्वार की फसल अब तैयार है, इसे 2-3 बार पशुओं को खिलाएं। खरीफ चारे की बुआई शुरू करें ताकि मानसून में अच्छा चारा मिले। सूखा चारा छायादार जगह पर रखें ताकि फफूंदी न लगे।
5. पशु चिकित्सक से संपर्क: यदि आपका पशु चारा नहीं खा रहा, बुखार है, या लू की शिकायत दिख रही है, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। गर्मी में छोटी-सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। विभाग के कैलेंडर में यह सलाह दी गई है कि पशुपालक नियमित रूप से अपने पशुओं की जांच करवाएं।