जानें काली नंबर प्लेट का महत्व और आवेदन प्रक्रिया

काली नंबर प्लेट का परिचय
आपने कारों पर सफेद, पीले और हरे रंग की नंबर प्लेट देखी होगी, लेकिन क्या आपने कभी काली नंबर प्लेट देखी है? भारत में काली नंबर प्लेट का उपयोग उन कमर्शियल वाहनों के लिए किया जाता है, जो सेल्फ-ड्राइव रेंटल के लिए उपलब्ध होते हैं। ये वाहन बड़े शहरों और लग्जरी होटलों में किराए पर लिए जाते हैं, जहां लोग इन्हें बिना ड्राइवर के चलाते हैं।
काले बैकग्राउंड पर पीले नंबर
काली नंबर प्लेट पर नंबर पीले रंग में होते हैं। इस प्लेट के साथ गाड़ी चलाने के लिए कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन विभिन्न राज्यों में इसके लिए अलग-अलग नियम हो सकते हैं। कुछ राज्यों में ट्रक और बस जैसे कमर्शियल वाहनों के लिए भी काली नंबर प्लेट का उपयोग किया जाता है। यह ध्यान देने योग्य है कि साल 2000 से पहले काली नंबर प्लेट का उपयोग सामान्य था, लेकिन अब यह केवल सेल्फ-ड्राइव रेंटल वाहनों के लिए उपलब्ध है।
काली नंबर प्लेट के लिए आवेदन कैसे करें?
यदि आप सेल्फ-ड्राइव रेंटल वाहन के लिए काली नंबर प्लेट प्राप्त करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपनी गाड़ी को कमर्शियल वाहन के रूप में रजिस्टर कराना होगा। इसके लिए आपको स्थानीय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए आपको वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर, टैक्स विवरण, इंश्योरेंस पेपर और परमिट की आवश्यकता होगी। अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी RTO से संपर्क करें। आवेदन फॉर्म नंबर 20, बिक्री प्रमाण पत्र के लिए फॉर्म नंबर 21, और सड़क सुरक्षा प्रमाण पत्र के लिए फॉर्म नंबर 22 भरना होगा। सभी दस्तावेजों की जांच के बाद, फीस का भुगतान करने पर काली नंबर प्लेट जारी की जाएगी।
अन्य रंगों की नंबर प्लेट
काली नंबर प्लेट के अलावा, सफेद नंबर प्लेट निजी वाहनों के लिए होती है, जबकि पीली नंबर प्लेट कमर्शियल वाहनों जैसे टैक्सी, बस, और ट्रक के लिए होती है। हरी नंबर प्लेट इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए होती है, जो प्रदूषण को कम करने में मदद करती है। नीली नंबर प्लेट विदेशी दूतावासों या राजनयिकों की गाड़ियों के लिए होती है, जिन पर देश कोड भी लिखा होता है।