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पंजाब में गन्ने की कीमतों में वृद्धि से किसानों को मिल रहा लाभ

पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार ने किसानों के लिए गन्ने की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि की है, जिससे उन्हें प्रति क्विंटल 416 रुपये मिल रहे हैं। इसके साथ ही, पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है और फसली विविधता को बढ़ावा दिया जा रहा है। जानें इस वर्ष कृषि क्षेत्र में और क्या बदलाव आए हैं और किसानों को किस प्रकार की सहायता मिल रही है।
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पंजाब में गन्ने की कीमतों में वृद्धि से किसानों को मिल रहा लाभ

पंजाब सरकार की नई पहल


किसानों को मिल रहा 416 रुपये प्रति क्विंटल


मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने 2025 में कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। गन्ने की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि, फसली विविधता को बढ़ावा देने और टिकाऊ कृषि प्रथाओं के प्रति प्रतिबद्धता के कारण कृषि में नई संभावनाएं खुली हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि सरकार का लक्ष्य किसानों को सशक्त बनाना और पर्यावरण की सुरक्षा करना है।


उन्होंने कहा कि गन्ने की कीमतों में वृद्धि किसानों की मेहनत का सम्मान है। सरकार ने गन्ने के लिए 416 रुपये प्रति क्विंटल की स्टेट एग्रीड प्राइस (एसएपी) की घोषणा की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15 रुपये अधिक है। यह कदम सुनिश्चित करता है कि पंजाब के गन्ना उत्पादकों को देश में सबसे अधिक मूल्य मिले।


पराली जलाने में कमी

सरकार के प्रयासों के चलते खरीफ सीजन में पराली जलाने की घटनाओं में 53 प्रतिशत की कमी आई है। इस वर्ष पराली जलाने के मामले घटकर 5,114 रह गए, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 10,909 थी। 2018 से अब तक, सरकार ने किसानों को 1.58 लाख से अधिक फसली अवशेष प्रबंधन मशीनें सब्सिडी पर प्रदान की हैं। इस वर्ष 16,000 से अधिक मंजूरी पत्र जारी किए गए हैं।


फसली विविधता में वृद्धि

इस वर्ष फसली विविधता में भी तेजी आई है, जिसमें कपास की खेती का क्षेत्र 20 प्रतिशत बढ़कर 1.19 लाख हेक्टेयर हो गया है। किसानों को बीटी कॉटन बीजों पर 33 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। 52,000 से अधिक किसानों ने सब्सिडी के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराया है, जो सरकारी पहलों में उनकी रुचि को दर्शाता है।


कृषि मंत्री ने बताया कि भूमिगत जल संरक्षण के लिए धान की सीधी बिजाई तकनीक को भी किसानों ने अपनाया है, जिसके तहत 1,500 रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता दी जाती है। इस वर्ष इस तकनीक के अंतर्गत क्षेत्र में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


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