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भारत की खनिज आत्मनिर्भरता के लिए उच्च स्तरीय बैठक

नई दिल्ली में एक उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें भारत को दुर्लभ पृथ्वी तत्वों और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी और अन्य अधिकारियों ने खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और चीन पर निर्भरता कम करने के उपायों पर जोर दिया। इस बैठक में CSIR की भूमिका और घरेलू अन्वेषण को प्रोत्साहित करने के मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
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भारत की खनिज आत्मनिर्भरता के लिए उच्च स्तरीय बैठक

भारत की खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य भारत को दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (REE) और अन्य आवश्यक खनिजों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इस बैठक में केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, और कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे शामिल हुए।


बैठक का मुख्य फोकस इन रणनीतिक खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और भारत की चीन जैसे देशों पर निर्भरता को कम करना था। ये खनिज आधुनिक तकनीकों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, जिनका उपयोग रक्षा उपकरण, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, सौर पैनल, और पवन टरबाइन में किया जाता है।


केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए "सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण" पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खान, कोयला और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के बीच सहयोग आवश्यक है ताकि देश में इन खनिजों की खोज, खनन और प्रसंस्करण को तेज किया जा सके।


डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के पास खनिज प्रसंस्करण और धातु विज्ञान में वर्षों का अनुभव है, जो भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा कि CSIR की प्रयोगशालाएं जटिल प्रक्रियाओं को संभालने में सक्षम हैं और देश को एक मजबूत घरेलू आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद कर सकती हैं।


इस बैठक में महत्वपूर्ण खनिजों के ब्लॉकों की नीलामी में तेजी लाने, विदेशों में खनिज संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए काबिल (KABIL - खानिज बिदेश इंडिया लिमिटेड) की भूमिका को बढ़ाने और घरेलू अन्वेषण को प्रोत्साहित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।


सरकार का यह कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत और लचीली खनिज आपूर्ति श्रृंखला बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिससे भविष्य की प्रौद्योगिकियों की आवश्यकताएं पूरी की जा सकेंगी।