भारत की जल रणनीति से पाकिस्तान में पानी की कमी का संकट

पाकिस्तान में जल संकट की स्थिति
नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जो 'वॉटर स्ट्राइक' की नीति अपनाई है, उसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान में पानी की भारी कमी हो गई है। इस कदम के चलते सिंधु बेसिन में पाकिस्तान के डैम से पानी का प्रवाह काफी घट गया है। देशभर में जलाशयों का स्तर खतरनाक रूप से गिर गया है। मंगला और तरबेला जैसे प्रमुख बांध सूखने की कगार पर हैं, जिससे सिंचाई प्रभावित हो रही है और खरीफ फसलों की बुआई में बाधा आ रही है।
वास्तव में, चिनाब नदी में भारत द्वारा जल प्रवाह में कमी लाने के बाद पाकिस्तान के सिंधु नदी प्रणाली में पानी की कमी पिछले वर्ष की तुलना में तेजी से बढ़ी है। वर्तमान में, मंगला और तरबेला बांधों में जल संग्रहण आधे से भी कम हो गया है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा में तरबेला बांध पर सिंधु नदी का स्तर 1,465 मीटर है। पंजाब में चश्मा बांध पर भी जल स्तर 644 मीटर तक गिर गया है। मीरपुर में झेलम नदी पर मंगला बांध का स्तर 1,163 मीटर है। सियालकोट के मराला में चिनाब नदी का औसत प्रवाह 28 मई को 26,645 क्यूसेक से घटकर 5 जून को 3,064 क्यूसेक रह गया है।
खरीफ फसलों के लिए नदी नहरों से पानी की अनुपलब्धता के कारण किसानों में चिंता बढ़ गई है। सिंधु-झेलम और चिनाब नदी में जल प्रवाह अत्यधिक कम हो गया है। भयंकर गर्मी और जल संकट के कारण खेतों में दरारें पड़ गई हैं। पाकिस्तान में इस गर्मी में भीषण तापमान के बीच मानसून की देरी से सिंचाई की समस्या और भी गंभीर हो गई है। जून के अंत तक मानसून के आगमन की संभावना कम है, जिससे किसानों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।