भारत में अवैध कार मॉडिफिकेशन: जानें किन बदलावों से बचें
अवैध कार मॉडिफिकेशन
भारत में कारों के मॉडिफिकेशन का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लोग अपनी गाड़ियों को अन्य वाहनों से अलग दिखाने के लिए विभिन्न प्रकार के बदलाव करना पसंद करते हैं, जैसे कि तेज आवाज वाले एग्जॉस्ट, बड़े टायर और बदली हुई हेडलाइट्स।
क्या आप जानते हैं?
हालांकि, इनमें से कई बदलाव अवैध हैं और ये न केवल आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं, बल्कि आपकी कार की सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकते हैं। गलत मॉडिफिकेशन के कारण भारी चालान लग सकता है और कई बार इंश्योरेंस क्लेम भी अस्वीकृत हो जाते हैं।
5 अवैध कार मॉडिफिकेशन जिन्हें नहीं कराना चाहिए
आइए जानते हैं वे 5 कार मॉडिफिकेशन, जिन्हें किसी भी स्थिति में नहीं कराना चाहिए।
हाई-फ्लो या लाउड एग्जॉस्ट
बहुत तेज आवाज वाले एग्जॉस्ट कई शहरों में पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। ये ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाते हैं और पुलिस द्वारा चालान किया जा सकता है। कभी-कभी, वाहन को सीज भी किया जा सकता है।
व्हील साइज में बदलाव
बड़े पहिए या चौड़े टायर देखने में आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन ये गाड़ी की सस्पेंशन, ब्रेकिंग, माइलेज और स्थिरता को प्रभावित करते हैं। इससे दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, RTO की अनुमति के बिना ऐसे बदलाव अवैध हैं।
कार का रंग बदलना
यदि आप अपनी कार का रंग बदलते हैं या नया रैप लगाते हैं, तो इसकी जानकारी RTO को देना आवश्यक है। बिना अनुमति के रंग बदलना मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जुर्माना और कानूनी कार्रवाई का कारण बन सकता है।
आफ्टरमार्केट LED/HID हेडलाइट्स
बहुत तेज LED या HID हेडलाइट्स सामने से आने वाले ड्राइवरों को चकाचौंध कर सकती हैं, जिससे हादसे की संभावना बढ़ जाती है। टाइप-एप्रूवल न होने पर पुलिस चालान कर सकती है।
चेसिस या बॉडी स्ट्रक्चर में बदलाव
सनरूफ कटिंग, बॉडी उठाना, ऑफ-रोड बम्पर लगाना या चेसिस में बदलाव जैसे कार्य कार की सुरक्षा को कमजोर कर देते हैं। इससे एयरबैग, क्रैश प्रोटेक्शन और वाहन की स्थिरता पर असर पड़ता है। बीमा कंपनियां ऐसे वाहनों का क्लेम भी अस्वीकृत कर देती हैं।
