भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण 2025: खगोल विज्ञान की अद्भुत घटना का अनुभव

पूर्ण चंद्रग्रहण का अद्भुत नजारा
Lunar Eclipse 2025: रविवार की रात, भारत सहित एशिया, यूरोप और अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्ण चंद्रग्रहण का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। लद्दाख से लेकर तमिलनाडु तक, लोगों की नजरें आसमान की ओर टिकी रहीं। जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में ढक गया, तो वह लालिमा के साथ चमक उठा। यह खगोलीय घटना रात 9:57 बजे शुरू हुई और 11:01 बजे पूर्ण रूप से दिखाई दी, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ गया और तांबे जैसे लाल रंग में चमकने लगा।
82 मिनट तक रहा चंद्रग्रहण
82 मिनट तक रहा पूर्ण चंद्रग्रहण
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के प्रमुख नीरुज मोहन रामानुजम ने बताया कि चंद्रमा पर पूर्ण ग्रहण रात 11:01 बजे से 12:23 बजे तक 82 मिनट तक दिखाई दिया। उन्होंने यह भी बताया कि यह वर्ष का अंतिम पूर्ण चंद्रग्रहण था, जिसकी कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट रही। इसके बाद, अगली बड़ी खगोलीय घटना 21 सितंबर 2025 को अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण होगी।
चंद्रग्रहण का कारण
क्यों होता है चंद्रग्रहण?
चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। यह घटना पूर्णिमा की रात होती है, लेकिन हर पूर्णिमा पर नहीं, क्योंकि चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा से लगभग पांच डिग्री झुकी होती है।
चांद का लाल रंग
लाल क्यों दिखता है चांद?
जवाहरलाल नेहरू तारामंडल की पूर्व निदेशक बीएस शैलजा ने बताया कि चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल दिखाई देता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से परावर्तित होकर फैल जाता है। यह लालिमा सूर्य की किरणों के बिखराव के कारण उत्पन्न होती है, जो केवल लाल रंग को चंद्रमा तक पहुंचने देती है। इसी कारण चंद्रग्रहण के दौरान चांद तांबे जैसे रंग में दिखाई देता है।
भारत में सबसे लंबा चंद्रग्रहण
भारत में दिखा सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण
यह पूर्ण चंद्रग्रहण 2022 के बाद से भारत में दिखाई देने वाला सबसे लंबा चंद्रग्रहण था। इससे पहले इतना स्पष्ट और पूर्ण चंद्रग्रहण 27 जुलाई 2018 को देखा गया था। अब भारत में अगला पूर्ण चंद्रग्रहण 31 दिसंबर 2028 को नजर आएगा।
अंधविश्वासों का खंडन
वैज्ञानिकों ने किया अंधविश्वासों का खंडन
भारत में चंद्रग्रहण को लेकर कई अंधविश्वास प्रचलित हैं, जैसे भोजन न करना, पानी से परहेज और गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने जैसी मान्यताएं। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह केवल एक खगोलीय घटना है जिसका स्वास्थ्य या जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।