भारतीय रेलवे में बुलेट ट्रेन जैसी गति: ₹24,634 करोड़ के नए प्रोजेक्ट्स को मिली मंजूरी

भारतीय रेलवे की नई परियोजनाएँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के सबसे व्यस्त रेलवे कॉरिडोर की क्षमता को बढ़ाने के लिए ₹24,634 करोड़ की लागत वाली चार महत्वपूर्ण रेलवे अवसंरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
ये परियोजनाएँ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ में फैली हुई हैं, जिनकी कुल लंबाई 894 किलोमीटर है और इन्हें 2030-31 तक पूरा करने की योजना है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इन परियोजनाओं का उद्देश्य अत्यधिक व्यस्त मार्गों पर भीड़भाड़ को कम करना और तेज़ रेल यातायात सुनिश्चित करना है।
परियोजनाओं का विवरण
वर्धा-भुसावल (महाराष्ट्र): 314 किलोमीटर लंबी तीसरी और चौथी लाइनों का निर्माण।
गोंडिया-डोंगरगढ़ (महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़): 84 किलोमीटर लंबी चौथी लाइन का निर्माण।
वडोदरा-रतलाम (गुजरात-मध्य प्रदेश): तीसरी और चौथी लाइनें 259 किलोमीटर तक फैली हुई हैं।
इटारसी-भोपाल-बीना (मध्य प्रदेश): 237 किलोमीटर लंबी चौथी लाइन का विकास।
भारत के व्यस्त रेल नेटवर्क का हिस्सा
ये चार परियोजनाएँ सात उच्च-घनत्व वाले रेल मार्गों का हिस्सा हैं, जो भारत के कुल माल और यात्री यातायात का लगभग 41% संभालते हैं।
वडोदरा-रतलाम खंड दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर का हिस्सा है, जबकि भुसावल-वर्धा खंड मुंबई-हावड़ा मार्ग पर स्थित है। बीना-इटारसी लाइन दिल्ली-चेन्नई मार्ग को जोड़ती है, और गोंडिया-डोंगरगढ़ खंड मुंबई-हल्दिया कॉरिडोर से जुड़ा है।
इन परियोजनाओं के माध्यम से भीड़भाड़ में कमी आएगी, ट्रेनों की गति में वृद्धि होगी और माल ढुलाई की दक्षता में सुधार होगा। ये अंतरराज्यीय संपर्क को भी बढ़ावा देंगी, देरी को कम करेंगी और मौजूदा मार्गों की क्षमता को बढ़ाएँगी।
सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य
अधिकारियों का कहना है कि यह निवेश भारत के रेलवे नेटवर्क को तेज़, सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय बनाने के सरकार के दीर्घकालिक लक्ष्य के अनुरूप है, जो आर्थिक और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देगा।
इन स्वीकृतियों के साथ, भारत अपने पारंपरिक रेल मार्गों पर बुलेट ट्रेन स्तर की दक्षता प्राप्त करने के एक कदम और करीब पहुँच गया है, जिससे भारतीय रेलवे के भविष्य के लिए गति, क्षमता और आधुनिक बुनियादी ढाँचे का संयोजन होगा।