मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ, 9 साल बाद मिली राहत

मध्य प्रदेश में प्रमोशन प्रक्रिया का पुनरारंभ
MP 2025 प्रमोशन समाचार: मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रमोशन की प्रक्रिया को 9 साल बाद फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिससे 2016 से रुकी हुई प्रमोशन प्रक्रिया को फिर से चालू किया जा सकेगा। यह निर्णय हजारों कर्मचारियों के लिए एक सकारात्मक खबर है।
यह मामला 2002 में शुरू हुआ, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार ने प्रमोशनों में आरक्षण का प्रावधान लागू किया। इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में प्राथमिकता दी गई थी। कुछ समय तक यह व्यवस्था चलती रही, लेकिन सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
हाईकोर्ट द्वारा नियमों का रद्द होना
2016 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 'मध्य प्रदेश लोक सेवा (प्रमोशन) नियम, 2002' को रद्द कर दिया। इसके खिलाफ तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने 'यथास्थिति बनाए रखने' का आदेश दिया, जिसके कारण सभी विभागों में प्रमोशन पर रोक लग गई। इस आदेश के चलते 9 वर्षों तक सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन रुके रहे, जिससे उनके करियर में प्रगति की संभावनाएं प्रभावित हुईं।
हजारों कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
अब मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट ने लंबित प्रमोशन प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी है। यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे राज्य के हजारों योग्य कर्मचारियों को लंबे समय से प्रतीक्षित प्रमोशन मिलने की उम्मीद जगी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।'
सरकार के इस निर्णय के बाद अब विभिन्न विभागों में प्रमोशन की प्रक्रिया को पुनः प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे। कर्मचारी अब केवल अंतिम आधिकारिक आदेश का इंतजार कर रहे हैं।